शनिवार, 26 मई 2018

राजभाषा हिंदी प्रचार प्रसार में एण्ड्राइड मोबाइल की भूमिका


आधुनिक तकनीकी विकास के साथ भाषा का विस्तार भी धीरे धीरे बढ़ रहा है। । सूचना प्रौद्योगिकी ने भौगोलिक दूरी कम कर दी है। हमारे विचार, कल्पना और जनसंपर्क में अविश्वसनीय परिवर्तन हुआ है।  सामाजिक माध्यम में अर्थात सोशल मीडिया में तीव्र गति से विकास हो रहा है। मोबाइल उत्क्रांति ने सोशल मीडिया का नक्शा बदल दिया है। एण्ड्राइड मोबाइल के लिए लाखों मोबाइल एप्प निर्माण हुए और निरंतर नए एप्प गुगल प्ले स्टोअर में उपलब्ध हो रहे है।  एंड्राइड में अनेक उपयोगी एप्स बनाए गए हैं जो मुफ्त भी है और कई सशुल्क उपलब्ध है। गुगल प्ले में सर्च करते समय हिंदी के लिए अनेक एप्स सामने आते है। हिंदी पुस्तकों की सूचि में धार्मिक, शिक्षा, कला, साहित्य, सामान्य ज्ञान,इतिहास से लेकर अनेक विषयों का भांडार उपलब्ध है। फिल्म की श्रेणी में अनेक पुराने और नए भारतीय फिल्मों का संग्रह उपलब्ध है। समाचार की श्रेणी के अंतर्गत अनेक सुप्रसिध्द समाचार पत्र जैसे नव भारत टाइम्स, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर,दैनिक अमर उजाला आदि समाचार पत्रों की शृंखला है। सर्वाधिक लोकप्रिय एप्स श्रेणी में अनेक हिंदी व्याकरण, इंडिक की बोर्ड, शब्दकोश,हिंदी कैलेण्डर,लर्न हिंदी, मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ, शायरी, कविता, हिंदी चुटकुले, आयुर्वेद, सामान्य ज्ञान, धार्मिक साहित्य, बी.बी.सी. हिंदी, भविष्य आदि अनेक बहु उपयोगी एप्स का संग्रह आपके सामने हाजिर है।
राजभाषा हिंदी में काम करने के लिए केंद्र सरकारी कार्यालयों में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों हेतु एण्ड्राइड आधारित कुछ महत्वपूर्ण  मोबाइल एप्प की जानकारी एवं लिंक निम्नानुसार है।   
राजभाषा विभाग द्वारा विकसित राजभाषा लिला एप्प
      सरकारी कार्यालयों में राजभाषा प्रचार प्रसार हेतु राजभाषा विभाग ने लिला नामक मोबाइल एप्प विकसित किया है। अब राजभाषा हिंदी आपकी मातृभाषा या अंग्रेजी के माध्यम से सीखी जा सकती है। केंद्र सरकारी कर्मचारियों को हिंदी शिक्षण योजना के तहत प्रबोध, प्रविण, प्राज्ञ, पारंगत, हिंदी टंकलेखन, हिंदी आशुलिपि सीखना अनिवार्य किया गया है। लिला मोबाइल एप्प में यह कोर्स आप पढ़ कर परीक्षा दे सकते है। परिक्षा उत्तीर्ण होने पर नियमानुसार एक मुश्त पुरस्कार और एक वर्ष के लिए विशेष वेतनवृद्धी प्रदान की जाती है। लिला-राजभाषा (कृत्रिम बुद्धि के माध्यम से भारतीय भाषाओं को जानें) हिंदी सीखने के लिए एक बहु-मीडिया आधारित बुद्धिमान स्वयं शिक्षक उपकरण है। Lila का उपयोग करके, अपने मोबाइल पर हिंदी भाषा सीखना वास्तव में आनंददायक और आसान है। हिंदी प्रबोध, प्रवीण और प्राज्ञ आदि कोर्स आप अंग्रेजी, असमिया, बांग्ला, बोडो, गुजराती, कन्नड़, तेलुगु, कश्मीरी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, तमिल और माध्यम के माध्यम से सीखने के लिए उपयोगी, अनुकूल और प्रभावी उपकरण हैं। हिंदी प्रबोध, हिंदी प्रवीण और प्राज्ञ पाठ्यक्रम पर प्रशिक्षण वर्ग में पढाने और दूरस्थ प्रशिक्षण योजना पर आधारित हैं, जो पहले से ही केन्द्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान [सीएचटीआई], राजभाषा विभाग [डीओएल], गृह मंत्रालय, सरकार द्वारा आयोजित किए जा रहे हैं। यह एक पूर्णकालिक 3-स्तरीय पाठ्यक्रम है जिसे विशेष रूप से सरकार, कॉर्पोरेट, सार्वजनिक क्षेत्र और बैंक कर्मचारियों को राजभाषा हिंदी का ज्ञान प्रदान करने के लिए बनाया गया है। यह प्रशिक्षण अनेक भारतीय भाषाओं (मूल भाषा) में डिज़ाइन किया गया है। शुरुआती चरण से हिंदी सीखने की इच्छा रखने वाले सभी लोगों के लिए यह भी उपयोगी है। 

सी.एस.टी.टी. ग्लोसरी नामक मोबाइल अप्प
तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार ने सी.एस.टी.टी. ग्लोसरी नामक मोबाइल अप्प बनाया है। सभी भारतीय भाषाओं के लिए शब्दावली विकसित करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 1 अक्टूबर 1 9 61 को एक समिति की सिफारिश पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 344 के अनुच्छेद 4 के तहत वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली [सीएसटीटी] के स्थायी आयोग की स्थापना की और राष्ट्रपति के आदेश 27 अप्रैल 1 9 60 जारी किया है। इस शब्दावली आयोग का मुख्य कार्य मानक शब्दावली विकसित करना , प्रचार प्रसार और वितरण करना है। राज्य सरकारों, विश्वविद्यालयों और क्षेत्रीय पाठ्य पुस्तक बोर्ड / ग्रंथ अकादमियों के सहयोग से हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में संदर्भ सामग्री सहित वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली का विकास किया जा रहा है । वर्तमान में सीएसटीटी उच्च शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के मुख्यालय के साथ नई दिल्ली में बीस राज्य गठबंधन अकादमियों / राज्य पाठ्य पुस्तक बोर्ड / विश्वविद्यालय कक्ष इत्यादि के साथ काम कर रहा है, टर्मिनोलॉजी कमीशन से भी जुड़ा हुआ है । सीएसटीटी द्वारा विकसित मानक शब्दावली के उपयोग के साथ हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में यूनिवर्सिटी लेवल टेक्स्ट बुक्स / संदर्भ सामग्री का उत्पादन करने का उनका मुख्य उद्देश्य है। आज तक सीएसटीटी ने विभिन्न विषयों और विभिन्न भाषाओं में लगभग आठ लाख तकनीकी शब्दों की शब्दावली को मानकीकृत किया है। सीएसटीटी ने प्रशासनिक और विभिन्न विभागीय शब्दावली का भी ख्याल रखा है जिनका व्यापक रूप से विभिन्न सरकारी विभागों, संस्थानों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं, स्वायत्त संगठन, पीएसयू आदि द्वारा उपयोग किया जाता है।

श्री अखिल कुमार द्वारा विकसित राजभाषा हिंदी एप्प -
भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन में भारत सरकार के सभी सरकारी विभाग एवं संस्थान कार्यरत हैं । हिन्दी भाषा सशक्त एवं जीवंत तभी होगी जब जन सामान्य द्वारा इसका प्रयोग अपने दैनिक जीवन में किया जाएगा । भारत सरकार के कार्यालयों में राजभाषा के प्रयोग को सरल एवं सुविधाजनक बनाने के लिए अपने छोटे प्रयास के रूप मे इस ऐप को विकसित किया है। इस ऐप में कार्यालयों में समान्यतः प्रयोग किए जाने वाले वाक्यांशों , वाक्यों, पद नाम, पर्यायवाची शब्‍दो, विभागों आदि के नामों एवं राजभाषा के संबंध में महापुरूषों के विचारों को संकलित किया गया है। इसके अतिरिक्त भारत सरकार की राजभाषा नीति, राजभाषा अधिनियम, 1963 , संवैधानिक प्रावधान, राष्ट्रपति के आदेश, 1960, राजभाषा संकल्प, 1968, राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग)नियम, 1976 को भी दिया गया है।

मोबाइल पर गुगल अनुवाद एप्प –
  गुगल प्ले स्टोअर से गुगल ट्रासंलेट एप्प द्वारा अब आप टाइप करके 103 भाषाओं के बीच अनुवाद कर सकते है। गूगल ने भारतीय भाषाओं को लिए नए प्रोडक्ट और फीचर्स की घोषणा की है। गूगल ट्रांसलेट गूगल की नई न्यूरल मशीन ट्रांसलेशन तकनीक का इस्तेमाल करेगा। इसके तहत गूगल अंग्रेजी और भारत की 9 भाषाओं के बीच ट्रांसलेशन की सुविधा मुहैया कराएगा। गूगल अंग्रेजी और भारतीय भाषाओं जैसे हिंदी, बंगाली, मराठी, तमिल, तेलुगु, गुजराती, पंजाबी, मलयालम और कन्नड के बीच ट्रांसलेशन की सुविधा प्रदान कर रहा है। न्यूरल ट्रांसलेशन तकनीक पुरानी तकनीक से कहीं बेहतर काम करेगी । गूगल ने यह भी घोषणा की है कि वह न्यूरल मशीन ट्रांसलेशन तकनीक को गूगल क्रोम ब्राउजर में पहले से आने वाले ऑटो ट्रांसलेट फंक्शन में भी मुहैया कराएगा। इसके चलते भारतीय इंटरनेट पर मौजूद किसी भी पेज को भारत की कुल 9 भाषाओं में देख सकेंगे। ये नई ट्रांसलेशन सुविधा सभी यूजर्स के लिए गूगल सर्च और मैप में भी उपलब्ध होगी। ये ट्रांसलेशन सुविधा डेस्कटॉप और मोबाइल दोनों पर मिलेगी। यह घोषणा इंडियन लैंग्वेजेज- डिफाइनिंग इंडियाज इंटरनेट शीर्षक के साथ गूगल और केपीएमजी की साझा रिपोर्ट के जरिए की गई है।
गूगल अब 9 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है। इन भाषाओं में आप गूगल पर कंटेंट देख सकते हैं। इतना ही नहीं गूगल आपके लिए इन भाषाओं से अनुवाद भी करेगा। वो भी पूरे वाक्य, न कि टुकड़ों में। ये भाषाएं हैं हिंदी, बंगाली, मराठी, तमिल, तेलगु, गुजराती, पंजाबी, मलयालम और कन्नड। गूगल सर्च और गूगल मैप पर भी अनुवाद की ये सुविधा मिलेगी। मोबाइल और डेस्कटॉप दोनों की फॉर्मेट में अनुवाद की ये सुविधा है। गूगल के मुताबिक इस वक्त अंग्रेजी के मुकाबले लोकल भाषाओं में के ज्यादा भारतीय इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। अगले 4 साल में भारतीय भाषाओं में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले भारतीय की तादाद 30 करोड़ होने की उम्मीद है। केपीएमजी के साथ गूगल ने एक रिपोर्ट की है जिसके मुताबिक सबसे ज्यादा तमिल, हिंदी, कन्नड, बंगाली और मराठी जानने वाले लोग ऑनलाइन सेवाओं का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।

 अनुवाद करने के लिए टैप करें: किसी ऐप में टेक्स्ट कॉपी करें और आपका अनुवाद पॉप अप हो जाता है
ऑफलाइन: जब आपके पास इंटरनेट नहीं है तो 59 भाषाओं का अनुवाद करें
त्वरित कैमरा अनुवाद: 38 भाषाओं में तुरंत पाठ का अनुवाद करने के लिए अपने कैमरे का उपयोग करें
कैमरा मोड: 37 भाषाओं में उच्च गुणवत्ता वाले अनुवादों के लिए टेक्स्ट की तस्वीरें लें
वार्तालाप मोड: 32 भाषाओं में दो-तरफा तत्काल भाषण अनुवाद
हस्तलेखन: 93 भाषाओं में कीबोर्ड का उपयोग करने के बजाय स्क्रिन पर हाथ से लिखें ।
वाक्यांश पुस्तिका: किसी भी भाषा में भविष्य के संदर्भ के लिए अनुवाद करें और अनुवाद सहेजें

निम्नलिखित भाषाओं के बीच अनुवाद किया जा सकता हैं:
अफ्रीकी, अल्बानियाई, अम्हारिक, अरबी, अर्मेनियाई, अज़रबैजानी, बास्क, बेलारूसी, बंगाली, बोस्नियाई, बल्गेरियाई, कैटलन, सेबूआ, चिचेवा, चीनी (सरलीकृत), चीनी (पारंपरिक), कोर्सीकन, क्रोएशियाई, चेक, डेनिश, डच, अंग्रेजी, एस्पेरांतो, एस्टोनियाई, फिलिपिनो, फिनिश, फ़्रेंच, फ़्रिसियाई, गैलिशियन, जॉर्जियाई, जर्मन, ग्रीक, गुजराती, हैतीयन क्रेओल, होसा, हवाईयन, हिब्रू, हिंदी, ह्मोंग, हंगरी, आइसलैंडिक, इग्बो, इंडोनेशियाई, आयरिश, इतालवी, जापानी, जावानी , कन्नड़, कज़ाख, खमेर, कोरियाई, कुर्द (कुरमानजी), किर्गिज़, लाओ, लैटिन, लातवियाई, लिथुआनियाई, लक्ज़मबर्ग, मैसेडोनियन, मलागासी, मलय, मलयालम, माल्टीज़, माओरी, मराठी, मंगोलियाई, म्यांमार (बर्मीज़), नेपाली, नॉर्वेजियन , पश्तो, फारसी, पोलिश, पुर्तगाली, पंजाबी, रोमानियाई, रूसी, सामोन, स्कॉट्स गेलिक, सर्बियाई, सेसोथो, शोना, सिंधी, सिंहला, स्लोवाक, स्लोवेनियाई, सोमाली, स्पेनिश, सुंडानी, स्वाहिली, स्वीडिश, ताजिक, तमिल, तेलुगु, थाई, तुर्की, यूक्रेनी, उर्दू, उज़्बेक, वियतनामी, वेल्श, झोसा, येहुदी, योरूबा, ज़ुलू

अनुमति नोटिस
Google अनुवाद निम्नलिखित सुविधाओं तक पहुंचने के लिए अनुमति मांग सकता है:
भाषण अनुवाद के लिए माइक्रोफोन
कैमरे के माध्यम से पाठ का अनुवाद करने के लिए कैमरा
पाठ संदेशों का अनुवाद करने के लिए एसएमएस
ऑफ़लाइन अनुवाद डेटा डाउनलोड करने के लिए बाहरी संग्रहण (एक्सटर्नल मेमरी)
डिवाइस पर साइन-इन और समन्वयन के लिए खाते की अनुमति और प्रमाण-पत्र

संदेश पाठक
भारत सरकार ने राष्ट्रीय मोबाइल प्रशासन योजना के तहत अनेक मोबाइल एप्प प्रदान किए है। इस योजना के अंतर्गत एस.एम.एस. पढनेवाला संदेश पाठक एप्प गुगल प्ले स्टोअर पर उपलब्ध है। संदेश पाठक एक भारतीय भाषा एसएमएस रीडर है। यह आने वाले एसएमएस को कैप्चर करता है और इसे उच्च स्वर में पढ़ता है। वर्तमान में यह आठ भारतीय भाषाओं (जैसे हिंदी, मराठी, बंगाली, गुजराती, तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़) और भारतीय अंग्रेजी (अंग्रेजी-हिंदी, अंग्रेजी-तमिल और अंग्रेजी-तेलुगू) के तीन स्तर पर उपलब्ध है । भाषा का चयन करने के लिए विकल्प हैं और आवाज की गति (सामान्य, धीमी, धीमी, तेज, अधिक तेज) का चयन करें। उपयुक्तता के अनुसार उपयोगकर्ता आवाज की गति समायोजित कर सकता है।

राष्ट्रीय मोबाइल गव्हर्नेस सेवा पहल
मोबाइल गवर्नेंस (एम गवर्नेंस):  मोबाइल सेवा देश में मोबाइल गवर्नेंस (एम गवर्नेंस) को मुख्य धारा शामिल करने के उद्देश्य से भारत सरकार की एक अभिनव पहल है. इसका उद्देश्य वायरलेस और नई मीडिया प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों, मोबाइल उपकरणों के माध्यम से सभी नागरिकों और व्यवसायों के लिए सार्वजनिक सूचना और सेवाओं को उपलब्ध कराने के लिए है. इसका उद्देश्य देश में मोबाइल फोन के उपयोग के माध्यम से विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, देश के सभी नागरिकों को लोक सेवाओं की पहुंच को व्यापक बनाने है. यह सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने में मोबाइल अनुप्रयोगों की अभिनव क्षमता भी प्रदान करता है. इसकी समग्र रणनीति भारत को मोबाईल शासन की क्षमता का दोहन समावेशी विकास के लिए करने में एक विश्व नेता बनाने की है. यह पहल इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा तैयार की गई है. प्रगत संगणन विकास केंद्र(सी-डैक), एक इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग संगठन, इस परियोजना के लिए तकनीकी कार्यान्वयन एजेंसी है.
      मोबाइल सेवा एसएमएस, यूएसएसडी, आईवीआरएस, सीबीएस, एलबीएस, और मोबाइल अनुप्रयोगों द्वारा देश के नागरिकों और व्यवसायों के लिए सार्वजनिक सेवाओं के वितरण के लिए सरकारी विभागों और एजेंसियों को एक एकीकृत मंच प्रदान करता है. इस योजना के अंतर्गत विस्तृत मोबाइल एप्प की शृंखला एप्प स्टोअर में उपलब्ध है। इसमें अनेक एप्प हिंदी के माध्यम से तैयार किए है जो आम जनता के प्रयोग के लिए अत्यंत उपयोगी है।


विजय प्रभाकर नगरकर
राजभाषा अधिकारी,
भारत संचार निगम लि., टेलिफोन भवन,
एस.बी.आई. चौक, अहमदनगर- 414001 महाराष्ट्र
 मो- 09422726400
ईमेल- vpnagarkar@gmail.com

रविवार, 13 मई 2018

हिंदी के कर्मठ योद्धा बालकवि बैरागी

यह जानकर बहुत दुःख हुआ कि बालकवि बैरागी जी हमारे बीच नहीं रहें। वे हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि थे,इसके अलावा वे हिंदी भाषा के एक कर्मठ योद्धा थे।मैंने उनके भाषण दिल्ली में सुने थे। मेरा यह सौभाग्य रहा कि मैंने उनकी कुछ हिंदी कविताओं का मराठी में अनुवाद किया था। जिसके बारे में उन्होंने मुझे बधाई देते हुए कहा था कि मराठी अनुवाद उन्होंने उनके तत्कालीन मराठी सांसद मित्रों को दिखाया था जो उनको पसंद आया था।
मैं जब दूरसंचार विभाग में हिंदी अनुवादक था तब हमारे कैडर की समस्या के बारे में उनके साथ पत्राचार होता था।वे तब राज्य सभा के सांसद थे। मेरा आवेदन पत्र उन्होंने एक बार सीधे तत्कालीन गृह मंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भेजा था और गृह मंत्री जी द्वारा प्राप्त जवाबी पत्र भी मुझे भेज दिया था।वे कहते थे कि हिंदी भाषा की लड़ाई बहुत लंबी है।यहां थक कर हार मानना नहीं चाहिए।
बालकवि बैरागी अपने सुंदर हस्ताक्षर में पत्र भेजते थे।मैंने उनके पत्रों को संभाल कर रखा है। एक हिंदी भाषा समर्थक कर्मठ योद्धा अंतिम यात्रा पर चल पड़ा है।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
💐💐💐
विजय नगरकर
अहमदनगर

बालकवि बैरागी नहीं रहे। हमारे बहुत चहेते बंधु विष्णु बैरागी उनके छोटे भाई हैं और यह उनके परिवार के लिए ही नहीं बल्कि साहित्य और सिनेमा से जुड़े लोगों के लिए भी दुख की घड़ी है।

बहुत पहले दूरदर्शन पर मैंने फ़िल्म "रेशमा और शेरा" देखी थी। इसमें अमिताभ बच्चन एक गूंगे नौजवान की भूमिका में थे। इसका एक गीत उन्हीं दिनों मन में बैठ गया था। इधर कुछ सालों में इसे कई बार सुना। कई म्यूज़िक डायरेक्टर से भी इस गीत का ज़िक्र किया कि अब इस तरह की धुनें नहीं रची जातीं। यह राग मांड में है और आप जानते हैं कि यह कौन सा गीत है।

तू चंदा मैं चांदनी, तू तरुवर मैं शाख रे
तू बादल मैं बिजुरी, तू पंछी मैं पात रे

राग मांड वही है, जिसमें राजस्थान का मशहूर लोकगीत "केसरिया बालम आओ नी, पधारो म्हारो देश" गाया जाता है। फ़िल्मों में भी इसके कई प्रयोग हुए हैं। मजरूह सुल्तानपुरी का लिखा पाकीज़ा का गीत "चांदनी रात बड़ी देर के बाद आयी है, ये मुलाक़ात बड़ी देर के बाद आयी है; आज की रात वो आये हैं बड़ी देर के बाद, आज की रात बड़ी देर के बाद आयी है... ठाड़े रहियो ओ बांके यार रे, ठाड़े रहियो" में राग मिश्र खमाज के साथ मांड भी मिला हुआ है। और भी कई गीत हैं इस राग में, लेकिन "तू चंदा मैं चांदनी" का जवाब नहीं है। यह गीत बालकवि बैरागी ने लिखा था।

बालकवि बैरागी ने हिंदी फ़िल्मों के लिए दो गीत लिखे। 1971 में रेशमा और शेरा का यह मशहूर गीत और दूसरा 1985 में आयी फ़िल्म "अनकही" का एक गीत, "मुझको भी राधा बना ले नंदलाल"। इस फ़िल्म में अमोल पालेकर, दीप्ति नवल और श्रीराम लागू थे।

बालकवि बैरागी इसलिए बड़े हैं, क्योंकि वे उन कुछ गीतकारों की टोली में थे, जिन्हें फ़िल्मों की चमक-दमक से ज़्यादा साहित्य में सुख मिलता था। गोपाल दास नीरज भी अलीगढ़ लौट गये। गोपाल सिंह नेपाली भी मुंबई में नहीं टिके। पंडित नरेंद्र शर्मा ने भी बहुत थोड़े से गाने लिखे। संतोष आनंद आजकल दिल्ली में एकाकी जीवन गुज़ार रहे हैं। ऐसे कई गीतकार, जिन्होंने हिंदी फ़िल्मों को बेहद ख़ूबसूरत गाने दिये, लेकिन जब फ़िल्मों में शब्दों को किनारा किया जाने लगा, वे चुपचाप बंद गली के अपने आख़िरी मकान में जाकर क़ैद हो गये।

एक और बात, मैंने बालकवि बैरागी को सामने से सुना है। ग़ालिब के मोहल्ले बल्लीमारान (चांदनी चौक, दिल्ली) में एक कवि सम्मेलन था। उसमें पाकिस्तान से अहमद फ़राज़ भी आये थे, जिनकी ग़ज़ल "रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ" बहुत मक़बूल है। उस वक़्त मोबाइल तो था, लेकिन सेल्फ़ी का दौर शुरू नहीं हुआ था। वरना हमारे पास इन हस्तियों के साथ सेल्फ़ी होती।
*** सुरेंद्र जिंसी

बुधवार, 9 मई 2018

हिंदी संगोष्ठी की दावत

*हिंदी संगोष्ठी* 😀😀😀
जिस प्रकार घटिया से घटिया लेख के शीर्षक के आगे सेमिकोलन लगा कर “एक तथ्यपरक अध्ययन” या “एक व्यवहारिक समीक्षा” जैसे ज्ञान-टपकाऊ और प्रज्ञा भड़काऊ शब्द जोड़कर या फिर किसी दो कौड़ी के व्याख्यान के अंत में ट्रक के पीछे लिखे-पढ़े जाने वाले शेर पढ़कर क्रमशः टटपूंजिया लेखक और थर्ड ग्रेड का कंपायमान वक्ता भी आत्ममुग्धता के मोड़ में आ जाता है उसी प्रकार बेसिर-पैर की संगोष्ठी में भी रसना सुखदायी उदरपूजन और घर-परिवार की किच-किच से दूर मध्यम वर्गीय जीवन से कूटे पीसे प्रतिभागी के लिए 3 स्टार होटल में आरामदायक आवास की व्यवस्था कर-करा कर संयोजक सेमिनार को महासफल होने की स्वघोषण कर देता है और इसका प्रमाणपत्र अपने गले में टांग लेता है।

यह दुःखद आश्चर्य है कि मैंने आज तक किसी भी सेमिनार को असफल बताते हुए किसी आयोजक के मुख से नहीं सुना । जिस प्रकार इस देश में कभी कोई पार्टी चुनाव हारती नहीं बल्कि सूपड़ासाफ हार पर भी उसकी नैतिक जीत होती है उसी प्रकार इस देश में कभी कोई सेमिनार न असफल होता है और न कभी होगा ...!! पर हां जे बात है कि सेमिनार के टेक्निकल एक्सपर्टों ने सेमिनार की सफलता के स्तर के अनुपात को प्रीतिभोज में ताज़ा पनीर की नर्माहट, लंबे छरहरे बासमती के पुलाव की गर्माहट और बटर-स्कॉच ऐशक्रीम के चॉकलेटी-मक्खनी स्वाद की मुख-घुलावट तथा sight seeing के लिए वाहन की व्यवस्था में आयोजकों की तत्परता के स्तर की समानुपाती ठहराया है । भोजनावकाश के बाद श्रोताओं को रूम-फ्रेशनर की खुशबू से महकते मंद शीतल वातानुकूलन कक्ष में जगाए रखना आयोजकों के लिए कई बार भ्रष्टाचार की परिभाषा तय करने सा चुनौतीपूर्ण हो जाता है । इस मामले में घाघ सेमिनारी विशेषज्ञ कुछ कोकिलकंठी, कटाराक्षी और मृगनयनी विदुषी ललनाओं का व्याख्यान भोजनाकाश के बाद रसज्ञ श्रोताओं को जगाए रखने के लिए रख छोड़ते हैं । विषय चाहे कितना ही नीरस हो पर सामने का दृश्य नयनभिराम हो तो आदमी पलकों से ना झपकने के लिए भी झगड़ लेता है । इसके विपरीत व्याख्यान चाहे कितना भी अभिनव, टेक्निकल, सूचनापरक क्यों ना हो पर उपरोक्त व्यवस्थाओं में कमी सेमिनार की धज्जियां आयोजकों के पीठ पीछे वैसे ही बखेर देती हैं जैसे हाथीछाप पार्टी के उम्मीदवारों की धज्जियां 2014 के लोकसभा चुनाव में बिखर गईं थी । 🚑

शैक्षणिक सूरमाओं के द्वारा चाहे सेमिनार का आविष्कार किसी भी उद्देश्य के लिए किया गया हो पर इस देश के खुर्राट और हरफ़नमौला खिलाड़ी इसका दोहन बहुमुखी प्रकार से करने में विश्वास रखते हैं । क्योंकि ज्ञान तो आजकल फैसबुक और व्हाट्सएप पर ताबड़तोड़ और अंधाधुंध बरस रहा है पर सेमिनार के बहाने सरकारी दामाद बन गोवा, शिमला या मुन्नार की सैर का आनंद इस परम रसायन का भुक्तभोगी ही जानता है बाकि के अभागे तो केवल उसका कल्पनानंद ही ले सकते हैं । किसी सेमिनार का पत्र आते ही प्राप्तकर्ता के सुमुख से अनायास ही निकल पड़ता है _ चलो भाई , इसी बहाने गोवा/शिमला/मुन्नार की सैर ही हो जाएगी । 🛫

कुछ हिंदी के परमसेवी प्राइवेट भक्त हिंदीभक्ति और नोटभक्ति के संग ईश्वरभक्ति के कलयुगी फ्युजन के तहत 30-35 हजार प्रति भक्त के रेट पर ऐसी संगोष्ठियां तिरुपती बालाजी, जगन्नाथ पुरी या रामेश्वरम में भी आयोजित करा देते हैं क्योंकि देशी हनीमूनी जगहों पर सरकारी हनीमून से अघाए दामादनुमा अधिकारियों का मन लोक के साथ साथ सपरिवार कुछ परलोक सुधार के लिए भी इन तीर्थस्थलों की और भी उन्मुख हो जाया करता है । हिंदीसेवा के साथ साथ बैकुंठ में भी सीट पक्की वो भी सरकारी खर्चे पर ...!!
आज के फैंसी हिन्दीप्रेमी भगतों और हिंदी के प्रभारी पंडों को इससे बढ़कर और क्या चाहिए ...

☕☕☕☕
✒ डॉ. राकेश शर्मा, गोवा

शनिवार, 28 अक्तूबर 2017

भारती लिपि

भारती लिखावट कुंजीपटल
भारती को भारत के लिए एक आम स्क्रिप्ट के रूप में  प्रस्तावित किया जा रहा है। रोमन लिपि को कई यूरोपीय भाषाओं (अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, इतालवी आदि) के लिए एक आम स्क्रिप्ट के रूप में उपयोग किया जाता है, जो उन भाषाओं में बोलने और लिखने वाले देशों में संचार की सुविधा प्रदान करता है। इसी तरह पूरे देश के लिए एक आम स्क्रिप्ट भारत में कई संचार बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी ।
भारती लिखावट कुंजीपटल भारतीय भाषाओं में पाठ / पाठ प्रविष्टि के लिए एक हस्तलेखन आधारित इनपुट उपकरण है। भारती एक सरल और एकीकृत स्क्रिप्ट है जिसका उपयोग सबसे बड़ी भारतीय भाषाओं को लिखने के लिए किया जा सकता है। यह सरल आकारों का उपयोग करके डिज़ाइन किया गया है, अक्सर विभिन्न भारतीय भाषाओं / स्क्रिप्ट्स से सरल अक्षर उधार लेता है भारती पात्रों को इस तरह बनाया गया है कि चरित्र की ध्वनि (ध्वन्यात्मकता) अपने आकार में परिलक्षित होती है, और इसलिए याद रखना आसान है। समर्थित भाषाओं: हिंदी / मराठी (देवनागरी स्क्रिप्ट), बंगाली, पंजाबी / गुरुमुखी, गुजराती, उड़िया, तेलुगु, कन्नड़, तमिल और मलयालम हैं। भारती वर्णों और उपरोक्त सूचीबद्ध भारतीय भाषाओं के वर्णों के बीच मानचित्रण मदद पृष्ठों में दिया गया है। नमूना शब्द भी दिए जाते हैं।
भारती लिखावट कुंजीपटल किसी भी ऐप में भारतीय भाषा पाठ में प्रवेश करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है जिसमें पाठ संपादक शामिल होता है। एक बार पाठ संपादक खुला है, एक लिखने योग्य क्षेत्र पॉप अप है। उपयोगकर्ता को मेनू से एक भाषा चुननी होगी। उपयोगकर्ता लिखते क्षेत्र पर भारती वर्णों को एक स्टाइलस या उंगली से लिखते हैं। हस्तलिखित वर्ण एप द्वारा मान्यता प्राप्त होंगे और चयनित भारतीय भाषा / स्क्रिप्ट में परिवर्तित हो जाएंगे और फ़ॉन्ट के रूप में प्रदर्शित होंगे। भारती लिखावट कुंजीपटल भारतीय भाषा टेक्स्टिंग के लिए सबसे अच्छा साधन साबित होगा।

Head

V. Srinivasa Chakravarthy,
Professor,
Department of Biotechnology,
IIT Madras.

Team members:

Srinath Balakrishnan

शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

अनुवाद दिवस

आज 30 सितंबर आंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस है। अंग्रेजी विकिपीडिया पर जो जानकारी उपलब्ध थी उसको गुगल ट्रांसलेट द्वारा हिंदी अनुवाद करके देखा जो करीब करीब
सही मिल रहा है।आज तकनीकी विकास के कारण गुगल ने भी अनुवाद प्रक्रिया में सुधार किया है।पहले गुगल शब्द के स्थान पर शब्द का अनुवाद करता था , अब वाक्य के स्थान पर वाक्य का अनुवाद प्राप्त हो रहा है।अनुवाद दिवस के अवसर पर आइए हम सब मिलकर गुगल अनुवाद में सुधार करें ताकि भविष्य में अनुवाद सेतु मजबूत बनें, कई बार इस सेतु पर फिसलन ज्यादा है।
हिंदी विकिपीडिया में अब तक अनुवाद दिवस लेख नहीं है।
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(गुगल अनुवाद)
अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस हर साल 30 सितंबर को सेंट जेरोम के पर्व पर मनाया जाता है, बाइबिल अनुवादक जिसे अनुवादकों के संरक्षक संत माना जाता है। 1 9 53 में स्थापित होने के बाद से यह समारोह एफआईटी (अंतर्राष्ट्रीय अनुवादकों की अंतर्राष्ट्रीय संघ) द्वारा प्रोत्साहित किया गया है। 1 99 1 में एफआईटी ने एक आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस का विचार शुरू किया, ताकि दुनिया भर में अनुवाद समुदाय की एकता को बढ़ावा मिले। विभिन्न देशों में अनुवाद पेश (केवल ईसाई लोगों में जरूरी नहीं) यह एक पेशे में गर्व प्रदर्शित करने का अवसर है जो कि भूमंडलीकरण की प्रगति के युग में तेजी से जरूरी हो रहा है।
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(अंग्रेजी विकिपीडिया पर उपलब्ध लेख)
International Translation Day is celebrated every year on 30 September on the feast of St. Jerome, the Bible translator who is considered the patron saint of translators. The celebrations have been promoted by FIT (the International Federation of Translators) ever since it was set up in 1953. In 1991 FIT launched the idea of an officially recognised International Translation Day to show solidarity of the worldwide translation community in an effort to promote the translation profession in different countries (not necessarily only in Christian ones). This is an opportunity to display pride in a profession that is becoming increasingly essential in the era of progressing globalisation.

पीठापुरम यात्रा

 आंध्र प्रदेश के पीठापुरम यात्रा के दौरान कुछ धार्मिक स्थलों का सहपरिवार भ्रमण किया। पीठापुरम श्रीपाद वल्लभ पादुका मंदिर परिसर में महाराष्ट्...