सरकारी कार्यालयों में गृह पत्रिका का प्रकाशन का मुख्य उद्देश्य कर्मचारी एवं प्रशासन के बीच सुसंवाद निर्माण करना है। गृह पत्रिका प्रकाशन का मतलब कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों की प्रतिभा की अभिव्यक्ति को एक सशक्त मंच उपलब्ध करवाना भी है। इस पत्रिका में रचनाएं प्रकाशित हो जाने के कारण न जाने कितने छुपे हुए कलाकार, लेखक, कवि प्रशासन के सामने आ गए। कार्यालय के कर्मचारियों के परिवार सदस्य भी इस पत्रिका के साथ जुड़ने लगे। कार्यालय में सांस्कृतिक वातावरण निर्माण करने में गृह पत्रिका ने प्रमुख भूमिका अदा की है। आज भी हमारा लिखा हुआ कोई साहित्य छपकर आता है तो हमें अत्यंत आनंद होता है। हम अपनी रचना को प्रकाशित होकर ऐसे आनंदित हो जाते है जैसे हमारे घर में किसी नव शिशु ने जन्म लिया हो।
दूरसंचार की तकनीकी पहलुओं को हम अपनी मातृ भाषा एवं राज भाषा में पढ़ने लगे। जो तकनीक पहले कठीण लगता था वह अब आसान लगने लगा। हम कार्यालय के नियम,सुविधा और अनुशासन को अच्छी तरह से समझने लगे है। गृह पत्रिका की भाषा कोई साहित्यिक अथवा नियम पुस्तक की नहीं बल्कि हमारी बोलचाल की दैनिक भाषा होती है।
गृह पत्रिका कलश का प्रथम अंक 2 अक्तूबर 1993 को प्रकाशित हुआ । अहमद नगर दूरसंचार ज़िले के तत्कालीन दूरसंचार ज़िला प्रबंधक श्री सत्य पाल (वर्तमान मुख्य महाप्रबंधक गुजरात सर्किल, अहमदाबाद) ने अपने अध्यक्षीय प्रास्ताविक में लिखा था - अहमद नगर दूरसंचार सेवाओं की उपलब्धियाँ तथा सामान्य जानकारी से अवगत कराना तथा कर्मचारियों में छुपी प्रतिभा को उजागर करना गृह पत्रिका कलश का उद्देश्य है।
गृह पत्रिका कलश का नाम स्व. श्री ए.जी. लांडगे (टेलिफोन अधीक्षक) ने सुझाया था । इस कलश को हिंदी-मराठी रचनाओं से सुशोभित किया गया । कलश के प्रथम मुख्य संपादक मंडल अभियंता(विकास) श्री पूरनमल के साथ कार्यकारी संपादक श्री आर.एस.कुलकर्णी, सह संपादक श्री एन.पी. साब्रन तथा वि. प्र. नगरकर थे।
गृह पत्रिका कलश का मुख पृष्ठ आकर्षण बिंदु रहा क्योंकि अहमद नगर ज़िले के महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक प्राकृतिक स्थलों को प्रकाशित किया जाने लगा ।
मुख पृष्ठ पर अब तक संत ज्ञानेश्वर का पैस , शिरडी के साई बाबा शनि शिंगनापूर के शनि देवता, भंडारदरा धरण, निघोज के स्वयंभू कुंड, रेहकुरी का हरीण अभयारण्य, सिदेश्वर वाडी का पुरातन शिवालय मंदिर, रंधा फॉल, टाहाकारी अकोले का हेमोडपंथी प्राचीन जगदंबा माता मंदिर,
चोंडी, स्थित परम पूजनीय अहिल्या देवी होळकर का जन्मस्थान, अहमद नगर का भूईकोट किला, चाँद बीबी महल, हयूम मेमोरियल चर्च, विशाल गणपति, नेवासा का मोहिनीराज मंदिर आदि महत्त्वपूर्ण फोटो प्रकाशित हुए है।
कलश पत्रिका का निरंतर प्रकाशन तत्कालीन दूरसंचार ज़िला प्रबंधक श्री सत्य पाल, श्री ए.पी. भट, श्री जी.पी. भोकरे, महाप्रबंधक श्री एन.एन. गुप्ता, श्री जे. के. गुप्ता, श्री हेमंत जोगळेकर, श्री आर. के. चौहान तथा वर्तमान महाप्रबंधक श्री एल.एस.रोपिया जी ने सुलभ किया।
गृह पत्रिका कलश हेतु हमें डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठा विद्यापीठ के डॉ. चंद्र देव कवडे, निर्मलाताई देशपांडे ( विनोबा भावे की मानस पुत्री ), हिंदी साहित्यिक श्री यश पाल जौन, अहमद नगर के सेवानिवृत्त मेजर जनरल श्री बी.एस.मलिका, पूर्व सांसद श्री रत्नाकर पांडेय, हिंदी लेखक डॉ. दामोदर खडसे, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के महामन्त्री प्रा. अनंतराम त्रिपाठी तत्कालीन राज्यपाल अरूणाचल प्रदेश श्री माता प्रसाद, नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी के श्री सुधाकर पाण्डेय, विधान सभा सदस्य श्री राधा कृष्ण विखे पाटील, पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री श्री दिलीप गांधी,
डॉ. मनोज पटौरिया (निदेशक वैज्ञानिक एफ ), दूरसंचार विभाग के हिंदी सलाहकार श्री हरिहर लाल श्रीवास्तव, श्री राजेन्द्र पटोरिया आदि महानुभावों के प्रेरणादायक पत्र एवं प्रशंसा प्राप्त हुई है।
इस पत्रिका को गतिमान रखने में संपादक सदस्य श्री वि.प्र. नगरकर, सुभाष डाके, श्रीमती एस.सी. कुर्वे, श्री बी.डी.महानुर, वसंत दातीर, बी.जी. देशमुख, श्रीमती एस.एस. अष्टेकर, डी.भी . भोर अतिथि संपादक डॉ. शहाबुद्दीन शेख, लछमन हर्दवाणी, हेरंब कुलकर्णी आदि विद्वानों ने महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान किया ।
गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग, क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय, मुंबई में वर्ष 1994-95 के दौरान दूरसंचार ज़िला प्रबंधक कार्यालय अहमद नगर द्वारा प्रकाशित कलश गृह पत्रिका को द्वितीय पुरस्कार से 14 नवंबर 1995 को सम्मानित किया । इसी तरह राष्ट्रीय हिंदी अकादमी रुपांबरा पश्चिम बंगाल में इस कार्यालय की गृह पत्रिका कलश तथा राजभाषा कार्य हेतु राष्ट्रीय राजभाषा प्रथम पुरस्कार 1997 शिलाँग में प्रदान किया । इस कार्यक्रम में तत्कालीन लोक सभा अध्यक्ष श्री पी.ए. संगमा, मेघालय के राज्यपाल श्री जेकाब एवं मुख्यमंत्री श्री मराक उपस्थित थे।
पत्रिकाएँ अहमद नगर दूरसंचार के गुणवंत एवं होनहार बच्चों के फोटो हमेशा प्रकाशित किए जा रहे है। अधिकारी एवं कर्मचारियों के साहित्य को प्रकाशित करते समय हमने उनके परिवार सदस्य द्वारा लिखित साहित्य को भी प्रकाशित किया है। दूरसंचार सेवा संबंधित आधुनिक सेवाएं एवं तकनीक की जानकारी हिंदी मराठी भाषा के माध्यम से पाठकों तक पहुँचाई जा रही है।
भारतीय दूरसंचार के 150 वें गौरवशाली वर्ष के निमित्त हमने 15 अगस्त 2003 को विशेषांक प्रकाशित किया था । इसी तरह राज भाषा सुवर्ण जंयती विशेषांक 14 सितंबर 2002 प्रकाशित किया गया इस पत्रिका में श्री वि. प्र.नगरकर, वसंत दातीर , बी.डी.महानुर, अन्सार इनामदार, बी.जी.देशमुख, सुभाष डाके, श्रीमती प्रगति पवार, रंगनाथ वाडेकर, विक्रांत कंगे, गिरीष जाधव, बी.बी. चौहान, श्रीमती एस.सी. कुर्वे , सविता धर्माधिकारी, आर. के. सोनवणे, श्री एल.एस. गावडे,श्री एम.एस.शेख, शेख सी.यू. पटेल, शहाबुद्दीन शेख, श्रीमती छाया घोटणकर, चि. अक्षय जांमगावकर, श्री डी.बी.अढाव, भूषण देशमुख, श्रीमती पी.जी.कंत्रोड, श्री व्ही.ए.इंगळे, भालचंद्र कांबळे , एस.बी. डोंगरे , डी.बी.भोर, कु. भाग्यश्री चेमटे, एस.आर.भळगट, एस.व्ही.नगरकर, प्रदीप जाधव, एच.आर.रोहोकले, आर.जी.ज्योतिक, व्ही.आर.पवार, ए.ए. चेंबूरकर आदि कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने निरंतर अपनी रचनाएँ भेज कर कलश पत्रिका के सफल प्रकाशन में अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान किया है।
इस पत्रिका की चर्चा अनेक समाचार पत्र एवं पत्रिकायें में प्रकाशित हुई है। हमें सुदूर प्रांतों के ( असम, उड़ीसा, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश आदि ) अनेक पाठकों की प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हो रही है।
कुछ हिंदी प्रेमी हमें पत्र भेज कर कलश का वार्षिक चंदा भेजने के बारे में निवेदन करते है लेकिन यह एक गृह पत्रिका होने के कारण मुफ्त में अधिकारियों एवं कर्मचारियों को वितरित की जाती है।
दूरसंचार की तकनीकी पहलुओं को हम अपनी मातृ भाषा एवं राज भाषा में पढ़ने लगे। जो तकनीक पहले कठीण लगता था वह अब आसान लगने लगा। हम कार्यालय के नियम,सुविधा और अनुशासन को अच्छी तरह से समझने लगे है। गृह पत्रिका की भाषा कोई साहित्यिक अथवा नियम पुस्तक की नहीं बल्कि हमारी बोलचाल की दैनिक भाषा होती है।
गृह पत्रिका कलश का प्रथम अंक 2 अक्तूबर 1993 को प्रकाशित हुआ । अहमद नगर दूरसंचार ज़िले के तत्कालीन दूरसंचार ज़िला प्रबंधक श्री सत्य पाल (वर्तमान मुख्य महाप्रबंधक गुजरात सर्किल, अहमदाबाद) ने अपने अध्यक्षीय प्रास्ताविक में लिखा था - अहमद नगर दूरसंचार सेवाओं की उपलब्धियाँ तथा सामान्य जानकारी से अवगत कराना तथा कर्मचारियों में छुपी प्रतिभा को उजागर करना गृह पत्रिका कलश का उद्देश्य है।
गृह पत्रिका कलश का नाम स्व. श्री ए.जी. लांडगे (टेलिफोन अधीक्षक) ने सुझाया था । इस कलश को हिंदी-मराठी रचनाओं से सुशोभित किया गया । कलश के प्रथम मुख्य संपादक मंडल अभियंता(विकास) श्री पूरनमल के साथ कार्यकारी संपादक श्री आर.एस.कुलकर्णी, सह संपादक श्री एन.पी. साब्रन तथा वि. प्र. नगरकर थे।
गृह पत्रिका कलश का मुख पृष्ठ आकर्षण बिंदु रहा क्योंकि अहमद नगर ज़िले के महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक प्राकृतिक स्थलों को प्रकाशित किया जाने लगा ।
मुख पृष्ठ पर अब तक संत ज्ञानेश्वर का पैस , शिरडी के साई बाबा शनि शिंगनापूर के शनि देवता, भंडारदरा धरण, निघोज के स्वयंभू कुंड, रेहकुरी का हरीण अभयारण्य, सिदेश्वर वाडी का पुरातन शिवालय मंदिर, रंधा फॉल, टाहाकारी अकोले का हेमोडपंथी प्राचीन जगदंबा माता मंदिर,
चोंडी, स्थित परम पूजनीय अहिल्या देवी होळकर का जन्मस्थान, अहमद नगर का भूईकोट किला, चाँद बीबी महल, हयूम मेमोरियल चर्च, विशाल गणपति, नेवासा का मोहिनीराज मंदिर आदि महत्त्वपूर्ण फोटो प्रकाशित हुए है।
कलश पत्रिका का निरंतर प्रकाशन तत्कालीन दूरसंचार ज़िला प्रबंधक श्री सत्य पाल, श्री ए.पी. भट, श्री जी.पी. भोकरे, महाप्रबंधक श्री एन.एन. गुप्ता, श्री जे. के. गुप्ता, श्री हेमंत जोगळेकर, श्री आर. के. चौहान तथा वर्तमान महाप्रबंधक श्री एल.एस.रोपिया जी ने सुलभ किया।
गृह पत्रिका कलश हेतु हमें डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठा विद्यापीठ के डॉ. चंद्र देव कवडे, निर्मलाताई देशपांडे ( विनोबा भावे की मानस पुत्री ), हिंदी साहित्यिक श्री यश पाल जौन, अहमद नगर के सेवानिवृत्त मेजर जनरल श्री बी.एस.मलिका, पूर्व सांसद श्री रत्नाकर पांडेय, हिंदी लेखक डॉ. दामोदर खडसे, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के महामन्त्री प्रा. अनंतराम त्रिपाठी तत्कालीन राज्यपाल अरूणाचल प्रदेश श्री माता प्रसाद, नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी के श्री सुधाकर पाण्डेय, विधान सभा सदस्य श्री राधा कृष्ण विखे पाटील, पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री श्री दिलीप गांधी,
डॉ. मनोज पटौरिया (निदेशक वैज्ञानिक एफ ), दूरसंचार विभाग के हिंदी सलाहकार श्री हरिहर लाल श्रीवास्तव, श्री राजेन्द्र पटोरिया आदि महानुभावों के प्रेरणादायक पत्र एवं प्रशंसा प्राप्त हुई है।
इस पत्रिका को गतिमान रखने में संपादक सदस्य श्री वि.प्र. नगरकर, सुभाष डाके, श्रीमती एस.सी. कुर्वे, श्री बी.डी.महानुर, वसंत दातीर, बी.जी. देशमुख, श्रीमती एस.एस. अष्टेकर, डी.भी . भोर अतिथि संपादक डॉ. शहाबुद्दीन शेख, लछमन हर्दवाणी, हेरंब कुलकर्णी आदि विद्वानों ने महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान किया ।
गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग, क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय, मुंबई में वर्ष 1994-95 के दौरान दूरसंचार ज़िला प्रबंधक कार्यालय अहमद नगर द्वारा प्रकाशित कलश गृह पत्रिका को द्वितीय पुरस्कार से 14 नवंबर 1995 को सम्मानित किया । इसी तरह राष्ट्रीय हिंदी अकादमी रुपांबरा पश्चिम बंगाल में इस कार्यालय की गृह पत्रिका कलश तथा राजभाषा कार्य हेतु राष्ट्रीय राजभाषा प्रथम पुरस्कार 1997 शिलाँग में प्रदान किया । इस कार्यक्रम में तत्कालीन लोक सभा अध्यक्ष श्री पी.ए. संगमा, मेघालय के राज्यपाल श्री जेकाब एवं मुख्यमंत्री श्री मराक उपस्थित थे।
पत्रिकाएँ अहमद नगर दूरसंचार के गुणवंत एवं होनहार बच्चों के फोटो हमेशा प्रकाशित किए जा रहे है। अधिकारी एवं कर्मचारियों के साहित्य को प्रकाशित करते समय हमने उनके परिवार सदस्य द्वारा लिखित साहित्य को भी प्रकाशित किया है। दूरसंचार सेवा संबंधित आधुनिक सेवाएं एवं तकनीक की जानकारी हिंदी मराठी भाषा के माध्यम से पाठकों तक पहुँचाई जा रही है।
भारतीय दूरसंचार के 150 वें गौरवशाली वर्ष के निमित्त हमने 15 अगस्त 2003 को विशेषांक प्रकाशित किया था । इसी तरह राज भाषा सुवर्ण जंयती विशेषांक 14 सितंबर 2002 प्रकाशित किया गया इस पत्रिका में श्री वि. प्र.नगरकर, वसंत दातीर , बी.डी.महानुर, अन्सार इनामदार, बी.जी.देशमुख, सुभाष डाके, श्रीमती प्रगति पवार, रंगनाथ वाडेकर, विक्रांत कंगे, गिरीष जाधव, बी.बी. चौहान, श्रीमती एस.सी. कुर्वे , सविता धर्माधिकारी, आर. के. सोनवणे, श्री एल.एस. गावडे,श्री एम.एस.शेख, शेख सी.यू. पटेल, शहाबुद्दीन शेख, श्रीमती छाया घोटणकर, चि. अक्षय जांमगावकर, श्री डी.बी.अढाव, भूषण देशमुख, श्रीमती पी.जी.कंत्रोड, श्री व्ही.ए.इंगळे, भालचंद्र कांबळे , एस.बी. डोंगरे , डी.बी.भोर, कु. भाग्यश्री चेमटे, एस.आर.भळगट, एस.व्ही.नगरकर, प्रदीप जाधव, एच.आर.रोहोकले, आर.जी.ज्योतिक, व्ही.आर.पवार, ए.ए. चेंबूरकर आदि कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने निरंतर अपनी रचनाएँ भेज कर कलश पत्रिका के सफल प्रकाशन में अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान किया है।
इस पत्रिका की चर्चा अनेक समाचार पत्र एवं पत्रिकायें में प्रकाशित हुई है। हमें सुदूर प्रांतों के ( असम, उड़ीसा, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश आदि ) अनेक पाठकों की प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हो रही है।
कुछ हिंदी प्रेमी हमें पत्र भेज कर कलश का वार्षिक चंदा भेजने के बारे में निवेदन करते है लेकिन यह एक गृह पत्रिका होने के कारण मुफ्त में अधिकारियों एवं कर्मचारियों को वितरित की जाती है।