शुक्रवार, 25 नवंबर 2022

अपूर्ण कविता

 भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏💐

पुनीत की मराठी कविता का हि


■ अपूर्ण कविता


स्कूल छूटने की बेल की आवाज

हवा में गूँज ही रही थी

 तब तक मैं रॉकेट की गति से 

घर पहुंचता था,


पीठ पर लटका बस्ता फेंक

घोड़े जैसा दौड़ कर

पहुँच जाता था खेल के मैदान में,

मस्तमौला बैल सा

धूल मिट्टी में नहाकर

इतराता था अपने मर्द होनेपर,


वो भी आती थी स्कूल से

घर के चार मटकियां पानी से भर

घर आंगन बुहारकर

देवघर में ज्योत जगाकर

वह बनाती थी रोटी

मां जैसी गोल गोल,

और राह निहारती देहरी पर

माँ के लौटने तक जंगल से,


वह चित्र निकालती थी

और रंगोली सजाती

घर के आंगन में,

मीरा के भजन और

पुस्तक की कविताएं

गाती थी मीठे स्वर में,


बर्तन मांजना, कूड़ा कचरा बीनना

आँगन बुहारना, 

और न जाने कितने काम

वह करती रही,


मैं हाथ पांव पसारकर

सो जाता था

वह किताबे लेकर बैठती थी

दीपक की रोशनी में देर रात तक,


एक ही कक्षा में थे हम

गुरुजी कान मरोड़कर

या कभी शब्दों की फटकार से

मुझे उपदेश देते

" तेरी बड़ी बहन जैसा बनेगा तो

जीवन सुधर जाएगा तेरा "

मैं दीदी की शिकायत करता था माँ के पास,


मैट्रिक का पहाड़

पार किया मैंने फूलती साँस लेकर

उसने अच्छे अंक हासिल किए थे

बापू ने कहा

मैं दोनों का खर्चा नहीं उठा पाऊंगा,


आंख का पानी छुपाकर

उसने कहा था

" भैया को आगे पढ़ने दीजिए"

उसके बाद जन्मे भाई के

 रास्ते से चुपचाप हटकर

वह बनाती गई उपले,

माँ के साथ खेती का काम करती

काँटे झाड़ी हटाती गई,

नारी बनकर अंदर ही अंदर

टूटती गई, 


उसके भाग्य का कौर चुराकर

मैं आगे बढ़ता गया

किताबों की राह पर,

 

 मैं बात जान गया था

दिल में टिस रह गयी

उसने आंख का पानी 

क्यों छुपाया था,


उसको ब्याह कर

बापू आज़ाद हुए

माँ की जिम्मेदारी खत्म हुई

अभी तक मेरा मन

अपराधी है अव्यक्त बोझ तले,


भैयादूज, रक्षा बंधन के दिन

दीदी मायके आती रही

सहर्ष सगर्व 

छोटे भाई के वैभव देख कर

हर्ष विभोर होती रही,

बुरी नजर उतारती रही

भारी आंखों से आरती उतारती रही,


ससुराल लौटते हुए

छोटे भाई को देती रही अशेष आशीष,


उसके जाने के बाद

मेरा मन जलता रहा दीपक समान

जिसकी रोशनी में

वह पढ़ती थी किताबें

और कविताएँ

उसकी कविता

मेरे लिए 

रही अपूर्ण।

■■

हिंदी अनुवाद-

 विजय विजय प्रभाकर नगरकर  

मूल मराठी कविता -

 पुनीत मातकर | गडचिरोली |

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