सोमवार, 15 दिसंबर 2008

राजभाषा कर्मियों की वेतन में बढोतरी

राजभाषा कर्मियों की वेतन में बढोतरी
छठे वेतन आयोग ने सिफारिश की थी कि केंद्र सरकार के विभिन्न अधिनस्थ कार्यालयों में कार्यरत राजभाषा कर्मियों का वेतनमान केंद्रीय सचिवालय राजभाषा केडर के समान रखा जाए लेकिन इस सिफारिश पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी थी। अब वित्त मंत्रालय,भारत सरकार के दिनांक 24 नवंबर,2008 के आदेशानुसार वेतनमान की इस विसंगति को हटा दिया गया है। जिला स्तर पर कार्यरत हिंदी अनुवादक,हिंदी अधिकारी को अब दिल्ली स्थित राजभाषा विभाग के समकक्ष वेतनमान दिया जाएगा। इस वेतन असंगति को लेकर अनेक न्यायालयीन मामले दर्ज किए गए थें।
अब आशा की जा सकती है कि केंद्र सरकार के विभिन्न कार्यालयों में रिक्त राजभाषा से जुडे हजारों पदों की भरती की जाएगी। संविधान में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राजभाषा नियमों के अनुसार हर जिला स्तर पर हिंदी केडर के पद सृजित किए जाने चाहिए। सरकारी कार्योलयों में हिंदी पदों की कमी हर जगह समस्या बन कर रह गयी है। संसदीय राजभाषा समिति के राजभाषा निरीक्षण के बाद रिक्त पदों को भरने का आश्वासन हर विभाग द्वारा दिया जाता है लेकिन स्थिति फिर वही रह जाती है। हिंदी को बढाने की बात होती है लेकिन हिंदी पदों की भरती दूर का सपना हो जाता है। विडंबना यह है कि इन पदों को भरने के लिए सरकार की ओर से कोई वित्तिय आपत्ति नहीं है लेकिन हर विभाग का प्रशासन अभी तक इतना चुस्त नहीं है कि हिंदी पदों का औचित्य तयार करके पदों का निर्माण एवं भरती की जाए। इस देश में हिंदी में स्नातकोत्तर प्रशिक्षित छात्रों की बडी तादाद बेकार है। उनको इन पदों पर नियुक्त किया जा सकता है। इससे दक्षिण भारत में रोजगार प्राप्त हो सकता है। हिंदी प्रचार प्रसार में हिंदी केडर महत्वपूर्ण भूमिका अदा हो सकती है। हिंदी के द्वारा देश को जोडने की बात की जाती है। फिर सरकार हिंदी के हजारों रिक्त पदों पर भरती कब करेगी यह सवाल हमेशा हर विभाग में लंबित रहता है।
देश के विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत हिंदी कर्मियों का राष्ट्रीय स्तर पर सर्वेक्षण करते हुए उनका एक ही संवर्ग बनाने की जरुरत महसुस की जा रही है। इस बारे में संसदीय राजभाषा समिति तथा राजभाषा विभाग ने सूझाव दिया था लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

निम्नलिखित आदेश के अनुसार अधिनस्थ कार्यालयों में कार्यरत हिंदी केडर के वेतनमान में संशोधन किए गए है।









( Copy of letter No. F.No.1/1/2008-IC dated 24/11/2008 from Alok Saxena, Director (IC), Implementation Cell, Dept. of Expenditure, Ministry of Finance, Govt. of India addressed to all Ministries / Departments of Govt. of India )

Subject- Revised pay scales for Official Language posts in various subordinate
offices of the Central Government.

Consequent upon the implementation of the recommendations of Sixth Central Pay Commission, this Department has received queries from many Ministries/ Departments regarding the revised pay structure applicable in the case of Official Language posts existing in the subordinate offices of the Central Government. In this connection, it is clarified that in accordance with the recommendations of the Sixth Central Pay Commission as accepted by the Govt., similarly designated posts existing outside the Central Secretariat Official Language Service (CSOLS) cadre in various subordinate offices of the Central Govt. have been granted the same scale as those granted to CSOLS. The Government has notified the following revised pay structures for the Official Language cadre belonging to CSOLS.

(in Rs.)

Designation
Recommended
pay
scale
Corresponding Pay Band & Grade pay
Pay Band
Grade Pay
Jr. Translator
6500-10500
PB-2
4200

Sr. Translator
7450-11500
PB-2
4600

Asstt. Director (OL)
8000-13500
PB-3
5400

Dy. Director (OL)
10000-13500
PB-3
6100

Jt. Director (OL)
12000-16500
PB-3
6600

Director (OL)
14300-18300
PB-3
7600






2. Accordingly, w.e.f. 1.1.2006, all Ministries/ Departments etc. are required to grant the revised pay scales approved for various posts in the CSOLS to similarly designated Official Language posts existing in their subordinate offices.
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विजय प्रभाकर कांबले
राजभाषा अधिकारी भारत संचार निगम लि. अहमदनगर महाराष्ट्र भारत. मोबाईल-०९४२२७२६४०० Email- viprakamble@gmail.com
http://viprakamble.blogspot.com htttp://groupus.goo

बुधवार, 21 मई 2008

अब उर्दू भी नागरी लिपि में पढ़े।

“नहीं खेल ऐ ”द़ाग” यारों से कह दो
कि आती है उर्दू ज़बाँ आते आते।“
द़ाग की कुछ रचनाएँ पढ़ने के लिए मुझे उर्दू - हिंदी शब्दकोश का सहारा लेना पड़ा। डॉ.बशीर बद्र की उर्दू रचनाओं का नागरी लिप्यतंरण एवं संपादन भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी श्री. बसंत प्रताप सिंह ने कल्चर यकसाँ में किया है जो वाणी प्रकाशन नई दिल्ली ने प्रकाशित किया है। इसीतरह डॉ.बशीर बद्र की रचनाएँ उजाले अपनी यादों के संग्रह में नागरी लिपि में विजय वाते ने संपादित की है। दोनों ने उर्दू को नागरी लिपि में लिप्यतंरित करके हिंदी साहित्य की बड़ी सेवा की है। उर्दू रजनाओं को समझने में मुझे स्व.आचार्य रामचंद्र वर्मा द्वारा संपादित उर्दू हिंदी कोश मददगार साबित हुआ। यह कोश शब्दलोक प्रकाशन,वाराणसी ने प्रकाशित तथा लोकभारती प्रकाशन इलाहाबाद ने वितरित किया है। इसके अलावा महाराष्ट्र के श्रीपाद जोशी जी द्वारा संपादित उर्दू-मराठी-हिंदी शब्दकोश भी अत्यंत उपयोगी साबित हुआ।
यह बात हुई साहित्य की लेकिन भाषा विज्ञान की दृष्टी से उर्दू से नागरी लिप्यतंरण का एक विशेष महत्व है। हिंदी उर्दू के कुछ शब्दसंग्रह को छोड दे तो दोनों की बनावट एवं क्रियापद समान है। भिन्न लिपि के कारण यह दोनों भारतीय भाषा भगिनियाँ एक ही परिवार में अलग अलग पेहराव पहन कर दूरियाँ बनाकर रह रही है। इस दूरी को अब आधूनिक सूचना प्रौद्योगिकी के कारण हटाया जा सकता है। मैंने कुछ दिन पहले गुगल ग्रुप के चिट्ठाकार वेब पर चर्चा की कि क्या उर्दू रचनाओं को नागरी लिपि में लिप्यंतरित करके पढा जा सकता है। तब मुझे उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हुई। संबंधित चर्चा के बिंदू पाठकों की जानकारी के लिए सीधे चिट्ठाकार की सौजन्य से निचे दे रहा हूँ।

मित्रों
क्या उर्दू से अन्य भारतीय भाषाओं के लिए लिप्यतंरण सुविधा उपलब्ध है?
क्योंकि उर्दू का साहित्य लिपि के कारण हम पढ नहीं सकते. रोमन से अन्य
भारतीय भाषाओं में गिरगीट तथा इंडिक ट्रांसलिटरेशन की सुविधा है लेकिन
क्या कोई मुझे उर्दू को नागरी लिपि में बदलने की तरकीब बता सकता है।
-विजय प्रभाकर कांबले
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भोमियो में हिंदी उर्दू लिप्यांतर मौजूद था। गिरगिट से भी मैं अनुरोध करुंगा कि वे उर्दू हिंदी लिप्यांतर इसमें शामिल करें। - जगदीश भाटिया
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भोमियो की उस सुविधा से मैने शुऐब के ऊर्दू चिट्ठे को देखा था, बहुत बढ़िया लिप्यांतरण करता था, शायद चिट्ठाजगत ( गिरगिट) भी इस तरफ ध्यान दे।
--
सागर चन्द नाहर
www.nahar.wordpress.com ॥दस्तक॥
www.techchittha.blogspot.com तकनीक
www.mahaphil.blogspot.com गीतों की महफिल
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यदि थोड़ा प्रयत्न किया जाय तो उर्दू-देवनागरी लिप्यन्तरण औजार बनाया जा
सकता है। यह किसी फाण्ट परिवर्तक जैसा ही होगा। बस समस्या है कि हममे से अधिकांश को उर्दू पढ़ना-लिखना नहीं आता है (और इसीलिये यह उपकरण महत्वपूर्ण है) इसलिये लिप्यन्तरण के अल्गोरिद्म को बनाना मुझे कठिन लग रहा है।
यदि अपने में से कोई बन्धु उर्दू के उच्चारण के नियमों पर प्रकाश डालें
और बतायें कि ऊर्दू के कौन से अक्षर/अक्षर-समूह देवनागरी के किस अक्षर/ अक्षर-समूह के तुल्य होते हैं तो इस पर काम आरम्भ किया जा सकता है। मैंने सुना है कि बहुत से उच्चारण स्थिति/प्रसंग के अनुसार बदलते रहते हैं -- अत: कृपया अपवादों के बारे में भी बतायें। कोई जालस्थल इस तरह की जानकारी देता हो तो उसे बतायें।
यदि उर्दू-देवनागरी लिप्यन्तरण का कार्य ९०% भी सफल होता है तो मेरे
हिसाब से पर्याप्त है। आदमी की बुद्धि बहुत तेज काम करती है; बाकी १०%
की समस्या का हल बुद्धि से हो जायेगा। - अनुनाद
……………………………
मान्यवर आप का यह काम बड़ा अहम् होगा वैसे तो मैं भी आप की मदद कर सकता हूँ,
लेकिन मैं आप को एक मित्र का नाम और मेल दे रहा हूँ. अमरीका के कॅलेफोर्निया में उर्दू और हिन्दी पढाते हैं , आप अपनी ज़रूरतों को लिखिए.
- नाम आफताब अहमद mail - aftab...@gmail.com
please visit
http://samaysrijan.blogspot.com/
आप का- - मेराज अहमद
………………………………
भोमियो एक अच्छा औजार था और उसमें बेहतरी हो सकती थी. एक ऐसा ही ऑनलाइन औजार अभी भी काम कर रहा है, परंतु उसकी उपयोगिता अत्यंत सीमित है. बीबीसी उर्दू को हिन्दी में यहाँ देखें -
http://ltrc.iiit.net/~anusaaraka/cgi-bin/urdu-hindi/urdu-hindi.cgi?ur...
वैसे, उर्दू वेबसाइट को बोलकर पढ़ने वाला औजार जरूर काम का हो सकता है. यहाँ से डाउनलोड करें -
http://www.crulp.org/Downloads/langproc/TextToSpeech/UrduWebpageReade...
पर, रमण कौल ने इस पर विस्तृत लेख लिखा है कि हिन्दी से उर्दू तो संभव है (कई औजार हैं,) परंतु उर्दू से हिन्दी लगभग असंभव. यहाँ पढ़ें -
http://kaulonline.com/chittha/2007/07/urdu-devanagari-comparison/
रविशंकर श्रीवास्तव
………………….
सागर जी
सी-डैक पुणे के फारसी अरबी यूनिट ने लिप्यतंरण की सुविधा दी है लेकिन
हिंदी से उर्दू के लिए। क्या इससे आगे उर्दू से हिंदी सुविधा मिल सकती
है .
http://parc.cdac.in
- विजय प्रभाकर कांबले
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हो सकता है कि ये नीचे कडियाँ मदद रुप हो. मै हिन्दी और उर्दू दोनों पढ सकती हुँ.
भावना
http://aspspider.info/hindi2urdu/Abt.aspx
http://www.apniurdu.com/
…………………………………
भावना जी द्वारा दिये गये लिंक उपयोगी हैं किन्तु अपनी उर्दू से हिन्दी
लिप्यन्तरण की समस्या का उनके पास भी कोई समाधान नहीं दिखा। यहाँ तक कि हिन्दी से उर्दू के लिप्यन्तरण का प्रतिचित्रण (मैपिंग) तक उन्होने कहीं नहीं दिया है। उर्दू से देवनागरी लिप्यन्तरण के लिये मेरे मन में एक और विचार आया है। यदि उर्दू से देवनागरी में बदलने का प्रतिचित्रण (mapping) का नियम बताना कठिन है तो इसका समाधान एक उर्दू-देवनागरी शब्दकोश की सहायता से किया जा सकता है। विचार यह है कि लिप्यन्तरण का कार्य शब्दों के स्तर पर किया जाय। उर्दू का एक शब्द लिया जाय और उसके संगत शब्दकोश में पहले से संचित देवनागरी वर्तनी ढ़ूढ़ ली जाय।
और जो शब्द इस शब्दकोश में विद्यमान न हों उनका लिपयन्तरण एक पूर्व निर्धारित लिप्यन्तरण के नियम का अनुसरण करते हुए किया जाय। इससे यह होगा कि कुछ शब्दों का लिप्यन्तरण बिल्कुल सही होगा। (और कुछ का अपूर्ण) लिप्यन्तरण में यदि सही शब्दों की मात्रा अधिक होगी तो गलत लिप्यन्तरित कुछ शब्दों के होते हुए भी अर्थ निकालना सम्भव हो सकेगा।
इसके लिये एक हजार से पांच हजार शब्दों का उर्दू-देवनागरी शब्दकोश का प्रबन्ध करना पड़ेगा। - अनुनाद सिंह
…………………………………
The followingg link gives the keyboard layours of Hindi and urdu
Will this help?
http://aspspider.info/hindi2urdu/Transh2u.aspx
Bhavna
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अनुनाद जी
उर्द नागरी शब्दकोश उपलब्ध हो जाएगा। पुणे के श्रीपाद जोशी जी ने उर्दू का नागरी कोष बनाया है, आप चाहे तो मैं भेज सकता हूँ।
विजय प्रभाकर कांबले
…………………………………

very good solution
if a good urdu hindi dictionary exists (must be existing already .. only soft copy is needed)
then only taking the words ..Urdu to hind .. then reversing the list .. Hindi to Urdu ..
and while converting, checking the Urdu words found against the Urdu word in the bare Urdu-Hindi list will give 100% accurate transliteration .. verbatim.. and..
like it has been said before .. human mind is a super computer .. it WILL be able to 'translate' .. understand .. and it will be easy for Hindi writing guys to 'increase' their knowledge of the sister language go for it guys .. in this initiative, i can surely take quite some responsibilities
who wants to be the Team Leader (to get the brickbats from time to time ;-) .. they are just a natural thingy)
..peekay
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विजय प्रभाकर जी,
उर्दू-हिन्दी शब्दकोश जरूर भेजिये।
किन्तु शर्त यह है कि उसमें उर्दू लिपि में शब्द दिये हों, फिर देवनागरी में
उनका उच्चारण दिया हो - तभी यह उपयोगी होगा। हमको हिन्दी अर्थ से मतलब नहीं है ,बल्कि उर्दू में लिखे का उच्चारण क्या होगा -- इससे मतलब है। वैसे मैने इस तरह की एक छोटे से उर्दू-देवनागरी उच्चारण कोश का जुगाड़ कर लिया है। दस-पन्द्रह दिनों में उर्दू-देवनागरी लिपि परिवर्तक का पहला संस्करण आप सबके सामने प्रस्तुत करने की कोशिश करूंगा। - अनुनाद सिंह
………………………….
Agar Urdu ke shabdon ki devnagarin mein dictionary chahiye to yahan par
maujood hai
http://urdu2hindi.wordpress.com
http://urdu2hindi.blogspot.com/
Is sabdhkosh se help mil sakti hai, lekin isme udru lipi nahi hai.
-Jitu
……………………….
One more dictionary is available at the following link
http://l10n.urduweb.org/dictionary/
Bhavna
…………………………………….
उर्दू से हिन्दी लिप्यन्तरण में सबसे बड़ी कठिनाई
साधारणतः लिखित उर्दू में ह्रस्व इकार और उकार की मात्राएँ छोड़ दी जाती हैं । यदि पाठक उस विशिष्ट शब्द से परिचित है तब तो ठीक है, अन्यथा पढ़ते समय स्वयं ही अकार, इकार या उकार मात्रा की कल्पना करनी पड़ती है । उदाहरण के लिए -
"सिलसिला" (سلسلھ) शब्द लें । उर्दू में इसकी वर्तनी (दायें से बायें) इस
प्रकार है -
सिन, लाम, सिन, लाम, (छोटी) हे
मोतीलाल बनारसीदास द्वारा प्रकाशित 'हिन्दी-उर्दू शब्दकोश' (संकलनकर्ता -
मुहम्मद मुस्तफ़ा ख़ाँ 'मद्दाह') में इस शब्द का लिप्यन्तरण "सिल्सिलः" दिया है। उर्दू सीखने के लिए जून 1977 में मैंने यही कोश खरीदा था ।
'सिलसिला' शब्द यदि पूर्व-परिचित नहीं है, तो 27 तरह से इस शब्द का उच्चारण किया जा सकता है ।
(१)पहले अक्षर सिन का लिप्यन्तरण स, सि, सु में से कुछ भी हो सकता है ।
(२)दूसरे अक्षर लाम का लिप्यन्तरण ल, लि, लु में से कुछ भी हो सकता है ।
(३)तीसरे अक्षर सिन का लिप्यन्तरण स, सि, सु में से कुछ भी हो सकता है ।
Permutation से उच्चारण की कुल संख्या 3 x 3 x 3 = 27
अतः उर्दू से हिन्दी में लिप्यन्तरण बनाते समय इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है ।
---नारायण प्रसाद
………………………………
उर्दू से देवनागरी में बदलने वाले उपकरण का पहला संस्करण प्रस्तुत है। ये
फायरफाक्स में बिल्कुल ठीक काम कर रहा है किन्तु आई ई में अभी कुछ समस्या है।
Urdu to Devanagari script
converter_04.htm
http://groups.google.com/group/technical-hindi/web/Urdu%20to%20Devana...
जहाँ तक उर्दू का देवनागरी में परिवर्ततन का सवाल है अभी इसके कोश में जो शब्द हैं यदि उसके बाहर का शब्द उसे मिलता है तो उसके जगह पर स्टार रख देता है। संगत उर्दू शब्द में जितने वर्ण हैं उतने स्टार।
अत: इसकी कार्यक्षमता उतना ही अच्छा होगा जितना इसका शब्दकोश।
इसके बाद मै यह करने जा रहा हूँ कि जो शब्द, शब्दकोश में नहीं हैं उन्हे जो कुछ भी टेढ़े-मढ़े और अपूर्ण नियम हैं उनके सहारे उस शब्द को देवनागरी में बदलना। देखते हैं यह कितना सफल होता है।
- अनुनाद सिंह
http://groups.google.com/groups/profile?enc_user=aovIMhAAAADRqA4SBtD7RahSTpzCBpcS

अंतत इस चर्चा का अच्छा फल हमारे ऑनलाईन मित्रों से संपन्न हुआ जो भाषा प्रेमी भी है साथ साथ आई.टी. के क्षेत्र में काम भी कर रहे हैं। भारतीय भाषाओं को जोड़ने का पवित्र कार्य सूचना प्रौद्योगिकी के उपकरणों से सफल हो सकता है।ब्लॉगिंग करते समय मुझे अनेक मित्र सहयोगी संपर्क में आ गए जिनका मैं अत्यंत आभारी हूँ। मैं भाई अनुनाद सिंह जी का विशेष आभारी हूँ जिन्होंने चर्चा शुरु होते ही केवल १५ दिनों में नागरी लिप्यंतरण का कार्य संपन्न किया। इसमें परिवर्तन एवं सुधार की गुंजाईश है लेकिन एक दिशा मिल गई। ज्ञान अनंत है,जीवन सीमित है लेकिन मित्रों का नि:स्वार्थ प्रेम ही अत्यंत उपयोगी एवं मार्गदर्शक है।चिट्ठाकार के निम्नलिखित पते पर आप यह पूरा संवाद पढ सकते है।
http://groups.google.com/group/Chithakar?hl=hi

अब इस उपकरण को और अधिक परिष्कृत करके वैज्ञानिक एवं तकनीकी हिन्दी
चर्चा-समूह नें डाल दिया गया है।

Urdu to Devanagari script converter_09.htm
http://groups.google.com/group/technical-hindi/web/Urdu%20to%20Devanagari%20script%20converter_09.htm


अब यह लगभग समझने लायक आउटपुट दे रहा है। इसका परिणाम देखकर मुझे पूरा
विश्वास हो गया है कि अगले संस्करण में यह ९०% सही परिणाम देगा जो कि
समझने के लिये पर्याप्त होगा।

इस कार्य के लिये मुझे उर्दू शब्दों की सूची चाहिये जो उर्दू के साथ-
साथ देवनागरी लिपि में भी हो। अच्छा परिणाम आने के लिये इसमें कम से कम
पांच हजार शब्द होने चाहिये।

ऊर्दू में अनेक स्वरों एवं मात्राओं के लिये एक ही संकेत के प्रयोग की
समस्या बहुत ही दोषपूर्ण है। अपने में से जो बन्धु उर्दू लिपि की थोड़ी-
बहुत जानकारी रखते हैं वे कृपया बतायें कि मात्राओं की समस्या से कैसे
प्रभावी ढ़ंग से निपटा जाय।
- अनुनाद सिंह
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विनोबा भावे जी कहते थे मैं चाहता हूँ कि अन्य लिपियों के साथ साथ नागरी लिपि में भी सभी भारतीय भाषाएँ पढी जाए इससे एकता बढेगी। उनका यह सपना अब पुरा होगा यही कामना करते है।
- विजय प्रभाकर कांबले

बुधवार, 23 अप्रैल 2008

लाहोर बस

जब बस गुजरती है
बंदुकों की नोक की सुरक्षा में
तब बंटवारे की बहती जख्म
भरने लगती है अश्वत्थामा की जख्म की तरह,

रिश्तों का खुन अपनों को चुबंक की तरह खींच लेता है
बनावटी दीवार ढह जाती है,
मिलन की खुशी में
सरहदें गीली हो जाती है,

मुझे अब नजर आ रही है वाघा सरहद पर
जर्मन में ढह चुके दीवारों की ईटें
बस की चाकों तले
खत्म हो जाएगी नक्शे की कागजी रेखाएँ,

दो क्षितिजो को जोडने वाली बस
जब पूल बनकर गुजरती है
तब उसके नीचे बह जाता है
खुनी हुक्मशाह का इतिहास
आखिर देश बनता है
तलवार की धार के बदले
खून के रिश्तो से ..................


(मुल मराठी कविता - लाहोर बस
मराठी के यूवा कवि - श्री. हेरंब कुलकर्णी ( मोबाईल- 09890748580)
चिरे बंदी, मु.पो.ता. अकोले जि.अहमदनगर, महाराष्ट्र

हिंदी अनुवाद - श्री.विजय प्रभाकर कांबले (मोबाईल- 09422726400 )
प्रभात काँलनी, कलानगर,गुलमोहर रोड
अहमदनगर - 414003 महाराष्ट्र

कॉमन मैन

कॉमन मैन
तुम ने वोट पर ठप्पा लगाया और ‘संसद’ का जन्म हुआ
तुम ने उनको राजा मान लिया,वे विधायक,सांसद बन गए,
तुम ने क़ानुन के आगे सिर झुकाया,संसद सार्वभौम हो गई।
तुम ने दफ्तर के चक्कर काट-काट कर लाल फीताशाही से फाँसी लगवा ली,
तुम ने सपनों को पुकारा,उनके एजेंडा ने जन्म लिया
तुम लोकतंत्र के पालनहार,माता-पिता सब कुछ घोषित हो गए ।
उन्होंने तुम्हारा सम्मान किया,तुम वोटर राजा बन गए
वे सभा में भाषण देने लगे,तुम आज्ञापालक श्रोता बन गए
वे कानून बनाने लगे,तुम कोल्हु के बैल बन गए
वे नोटों पर नचवाने लगे,तुम उन के प्रचार में बंदर बन गए।
बम-विस्फोट के ठीकरों में तुम
निर्वासन की भीड में तुम
भुखमरी,कुपोषण की मौत में तुम
उन की घोषणा की ओर ताकने वालों में तुम
आत्महत्या करने वाले किसानों में तुम
बाँध बनने पर सब कुछ खोने वालों में तुम
हर्जाना पाने के लिए चक्कर काटने वालों में तुम
फुटपाथ पर रह कर ‘मेरा भारत महान’ घोषणा देने वालों में तुम
तुम नजर आते हो हमेशा राशन की कतार से मतदान की कतार तक
कभी कर अदा करते हुए,कभी लाल फीताशाही के चर्खे में घुटते हुए
लोकल में टंगे हुए, भीड में तितर-बितर बिन चेहरा
तुम बगुलों के बँगलों पर याचना करते हो,वे मस्ती में तुम्हें छेडते हैं
तुम्हारे ‘विश्व दर्शन’ से मेरा अर्जुन करने वाले
हे असाधारण “साधारण” मानव!
झोपडपट्टी के नरक से दूर जंगल में रहते हुए
तुमने अपने दिल का आक्रोश,बगावत किस खाई में फेंक दी है?
”सिसीफस” के समान बदन पर पत्थर उठा कर
चुप चाप तुम्हारा पहाड की चोटी की ओर जाना बार-बार
क्या तुम्हारे इस मौन,सहनशीलता को संत करार दूं?
या तुम्हें डरपोक करार करके तुम्हें फटकार दूं?
तुम्हारे स्थितप्रज्ञ की गीता लोकतंत्र के करुण पराजय की
ध्वजा बनकर लहरा रही है लाल किले पर
तुम स्वयं लक्ष्मण-रेखा खिंच कर मतों की भीख डालते गए
वे रावण बनकर तुम्हारा हरण करके
तुम्हें स्वप्न कांचन मृग दिखाते रहे।
तुम्हारे साधारण रहने पर ही असाधारण लोकतंत्र का सिंहासन आबाद है।
अपनी सहनशीलता को अब मिटा दो।
संसद के सामने वह “महात्मा” आँखें बंद करके बैठा है
और यहाँ तुम पुतला बनकर शरारती नजरों से
सब कुछ बरदाश्त करते जा रहो हो।
पुतला होना तुम्हारी सामर्थ्य है या तुम्हारी सिमा?
यह सोच कर मैं पुतला बन रहा हूँ,
हे कॉमन मैन !

(मूल मराठी कविता- हेरंब कुलकर्णी
हिंदी अनुवाद- विजय प्रभाकर कांबले) साभार-समकालीन भारतीय साहित्य, साहित्य अकादमी के अंक ११० (नवबंर-दिसंबर २००३) में प्रकाशित।
हमारे मित्र हेरंब जी ने सिंबॉयसिस पुणे स्थित कैंपस में स्थापित भारत का प्रथम कॉमन मैन के पुतले को देख कर यह कविता बनायी।

हिंदी के प्रसार में सहायक मुफ्त सॉफ्टवेअर

हिंदी के प्रसार में सहायक मुफ्त सॉफ्टवेअर

विज्ञान ने आज सभी जगह प्रगति दर्ज की हैं। कंप्यूटर के आगमन से कार्यालयीन कामकाज में बड़ी सहायता प्राप्त हुई हैं। भारत में कंप्यूटर के आगमन के साथ हिंदी भाषा भी तेजी से बढने लगी। सी.डैक पुणे ने कुछ बेहतरीन साँफ्टवेअर विकसित किए जिससे कप्यूटर पर भारतीय भाषाओं का प्रयोग होने लगा। लेकिन हिंदी के साँफ्टवेअर काफ़ी महंगे थे। हर कार्यालय की अपनी वित्तिय सीमा होती हैं। शुरुवाती के दौर में कंप्यूटर की कीमत में सॉफ्टवेअर खरीदने पडते थे। भारतीय भाषाओं का कारोबार धीरे धीरे बढने लगा। भारतीय भाषाओं के सॉफ्टवेअर अब सस्ते में प्राप्त हो रहे हैं।
विश्वस्तर पर भाषाओं के विकास में कंप्यूटर ने अहम भूमिका निभाई हैं। अँग्रेजी भाषाके फाँट यूनिकोड में परिवर्तित हुए हैं। अनेक सॉफ्टवेअर मुफ्त में वितरित हो रहे है। कंप्यूटर की दुनिया में शेरवेअर, फ्रिवेअर सॉफ्टवेयरों का बोलबोला हैं। इस बदलते परिवेा में हम कितने दिनों तक विदेशों का मुँह ताकते रहेंगे? भारत सरकार ने भारतीय भाषाओं के लिए प्रौधोगिकी का विकास किया हैं। सूचना प्रौधोगिकी एवं संचार मंत्रालय ने www.ildc.gov.in वेब साईट जारी की हैं। इस साईट पर भारतीय भाषाओं के विकास कार्यक्रमों की जानकरी दी गई हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत अनेक भारतीय भाषाओं के सॉफ्टवेअर इंटरनेट के माध्यम से मुफ्त डाऊनलोड किए जा सकते हैं। मुफ्त सॉफ्टवेअर डाऊनलोड करने से पहले आपका नाम पंजीकृत किया जाता है।पंजीकरण के बाद आपको यूजरनेम (प्रयोगकर्ता नाम) और पासवर्ड (कुट संकेत) दिया जाता है। इसके बाद आपकी कप्यूटर की आवयकताओं के अनुसार आप संबंधित सॉफ्टवेअर डाऊनलोड कर सकते है।
कृपया ध्यान रखें कि डाऊनलोड करने से पहले आपके कंप्यूटर पर डी.ए.पी.(डाऊनलोड एक्सलेंटर प्रोटोकॉल) अथवा फ्लैागेट सॉफ्टवेअर अवय स्थापित किया गया है। किसी सॉफ्टवेअर को इंटरनेट पर डाऊनलोड करने में यह सॉफ्टवेअर मदद करता है। इससे कम समय में डाऊनलोड प्रकिया तेजी से संपन्न होती है। www.tdil.mit.gov.in पर निम्नलिखित सॉफ्टवेअर मुफ्त डाऊनलोड हेतु उपलब्ध है।

· देसिका (भाषा आकलन की सहज प्रणाली)
यह 693 के.बी.साईज का विंडो 95 प्लैटफॉर्म पर चलनेवाला सॉफ्टवेअर सी डैक बेंगलुर ने विकसित किया है।
· गीता रिडर
धर्मग्रंथ गीता पढने के लिए यह सॉफ्टवेअर सी.डैक बेंगलुर ने बनाया है। यह विंडो-95 प्लैटफॉर्म पर चलता है। इसका आकारमान 3.29 एमबी है।
· ए एल पी पर्सनल (भाषा संसाधन प्रणाली) -
सी डैक पुणे द्वारा विकसित सॉफ्टवेअर 3.5 एमबी आकारमान का है जो डॉस 3.0 अथवा उससे उन्नत डॉस प्लैटफार्म पर चलाया जा सकता है।
· कॉरपोरा (भारतीय भाषाओं का ाब्द संसार) -
सी डैंक पुणे द्वारा विकसित इस सॉफ्टवेअर का आकारमान 176 एमबी है। इसमें हिंदी के सभी अपरिष्कृत शब्दों को पी सी आई एस सी आई आई में संग्रहित किया गया है।
· शब्दबोध (वाक्य विलेषण) -
संस्कृत शब्दों का अर्थगत व वाक्यगत विलेषण कंप्यूटर की सहायता से पारस्परिक अनुप्रयोग द्वारा किया जा सकता है।
· श्री लिपि भारती -
यह एक देवनागरी की बोर्ड ड्रायवर और ट्रू टाईप फाँटस है। इसका प्रयोग पेजमेकर,कोरलड्रा,व्हेंचुरा,अडोब इल्यूट्रेटर,एम एस ऑफिस 97/98/2000 एक्सपी आदी प्लॅटफॉर्म पर किया जा सकता है। यह फाँटस मुफ्त डाऊनलोड करके कही भी प्रयोग में लाए जा सकते है। इसका आकार 1.28 एम बी है तथा एम सी आई टी भारत सरकारने प्रदान किया है। माडयूलर कंपनी द्वारा निर्मित यह सॉफ्टवेअर एक उपयोगी की बोर्ड ड्रायव्हर है।
· बहुभाषिक ई मेल क्लाएंट -
सी डैक पुणे निर्मित यह सॉफ्टवेअर 2.12 एम बी आकारमान का विंडो 95/98 प्रणाली पर कार्य करता है। इसमें आप दस भारतीय भाषाओं में ई मेल भेज सकते है।
· आई लिप -
सी डैक पुणे द्वारा निर्मित यह सॉफ्टवेअर 4.00 एम बी आकारमान का विंडो 95/98 एन टी पर चलाया जा सकता है। इससे वर्तनी सुधार,ई मेल भेजना,पर्दे पर की बोर्ड सुविधा,क्ष्च्क्क्ष्क्ष् डेटा आयात करना,बहुभाषिक एच टी एम एल,बनाना ,शब्द संशोधक आदी कार्य किया जा सकता है। इस पुरस्कृत सॉफ्टवेअर द्वारा भारतीय भाषाओं में फाईल मेनू से एच ए टी एम एल रुप में भेजा जा सकता है।
· अक्षर -
अँग्रेजी हिदी में काम करने में सहायक सॉफ्टवेअर सॉफ्टटेक लि.नई दिल्ली ने बनाया है। विंडो 95 प्लॅटफॉर्म पर चलनेवाला यह सॉफ्टवेअर 3.5 एम बी आकारमान का है। यह सॉफ्टवर्ड तथा वर्डस्टार की तरह कार्य करता है। इसमें वर्तनी संशोधक, शब्दकोष, मेलमर्ज .टाइपराइटर ,की बोर्ड आदी सुविधा उपलब्ध है।
· सुरभी प्रोफेशनल -
अपल सॉफ्ट बेंगलुर द्वारा निर्मित यह की बोर्ड इंटरफेस सॉफ्टवेअर विंडो आधारित सभी प्लॅटफॉर्म जैसे एम एस वर्ड,एम एस एक्सेल,पेजमेकर आदी में कार्य करता है। इसमें अटो फाँट सिलेक्न,फाइंड अँड रिपलेस,अटोकरेक्ट तथा इंटेलिजेंट की बोर्ड मॅनेजर सुविधा उपलब्ध है।
श्व् बुध्दीमान कुंजीपटल प्रबंधक (इटेलिजंट की बोर्ड मॅनेजर) -
अपल सॉफ्ट बैंगलुर द्वारा निर्मित यह सॉफटवेअर विंडो 95/98 प्लॅटफॉर्म पर काम करता है। फाईल नाम,फॉट नाम हिंदी में टाइप करते समय प्राय हिंदी अक्षरों की जगह मशीनी अपाठ भाषा दिखायी देती है। इस समस्या का हल इस सॉफ्टवेअर द्वारा निकाला जा सकता है।
श्व् शब्दिका -
यह एक लेखा परीक्षा,लेखा बँकिंग प्राासन,सूचना प्रौद्योगिकी संबंधित शब्द संग्रह है। सी डैक नोएडा व वैज्ञानिक तथा तकनिकी शब्दावली आयोग द्वारा निर्मित यह सॉफ्टवेअर विंडो की सभी प्रणाली में कार्य करता है।यह एक मानक, प्रामाणिक द्विभाषी शब्द संग्रह है। कार्यालय में हिंदी पत्राचार करते समय आप बँकिग प्रशासकिय,लेखा तथा लेखा परीक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी के कठिन शब्दों का अर्थ आसानी से देख सकते है।
· एच वर्ड -
विंडो आधारित प्लैटफॉर्म पर कार्य करने वाला यह हिंदी का शब्दसंसाधक सी डैक नोएडा ने निर्माण किया है। हिंदी भाषा पर केंद्रित इस सॉफ्टवेअर में इन्स्क्रीपट, टाइपरायटर तथा रोमन की बोर्ड की खुबीयाँ मौजुद है। रोमन की बोर्ड भारतीय लिपि को रोमन लिप्यतंरण तालिका पर ( क्ष्ग़्च्ङग्र्च्र्) मौजुद सहज सुलभ बनाया है। फाईल बनाते समय पत्र में तिथि व समय डालना, पर्दे पर दिखायी देनेवाला की बोर्ड, फाँट परिवर्तन
( डी वी टी टी फाँट से लेखिका फाँट में परिवर्तन ) आदि सुविधाओं का लाभ ले सकते है।
· इंडिक्स -
भारतीय भाषाओं के लिए लाईनेक्स प्रणाली पर आधारित यह सॉफ्टवेअर एन सी एस टी ने प्रदान किया है। बहुभाषिक आधार, वेब ब्राऊजर, मेन्यू लेबल , मेसेज आदि जी यू आई ( ग्राफिकल यूजर इंटरफेस ) स्थानिक भाषा में प्रदर्शित होते है। यूनिकोड प्रणाली, ओपन टाईप फाँट विंडाज प्रणाली में सहायक, क्लायंट लाईब्रोरी से भारतीय भाषाओं में विकास, इनस्क्रीप्ट की बोर्ड, इस्की से यूनिकोड परिवर्तन, उच्च गुणता की छपवाई आदि सुविधाएँ है।

उपर्युक्त मुफ्त सॉफ्टवेअरों को संकलित करके कुछ अन्य फाँट की बोर्ड ड्राईवर, हिंदी ओ सी आर, फाँट परिवर्तन, शब्दसंसाधक आदि सुविधाओं को भारत सरकार ने स्वतंत्र वेबसाईट पर www.tdil.mit.gov.in पर भी रखा है। हिंदी सॉफ्टवेअर उपकरण की सी डी सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने नि:शुल्क सॉफ्टवेअर वैबसाईट www.ildc.in पर उपलब्ध कर दिए है। इस सॉफ्टवेअर का विमोचन मा. श्रीमती सोनियाजी गांधी के कर कमलों द्वारा तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री दयनिधि मारन जी की उपस्थिति में नई दिल्ली में दिनांक 20.06.2005 को विज्ञान भवन में किया गया। इस योजना के अंतर्गत सभी भारतीय भाषाओं को क्रम बध्द रिति से विकसित किया जा रहा है । अबतक तमिल व हिंदी भाषा की स्वयंपूर्ण सीडी का मुफ्त वितरण किया गया है ।इस मुफ्त सीडी के सहारे अब कोई भी व्यक्ति,संस्था,कार्यालय में अपने कंप्यूटर पर हिंदी भाषा का प्रयोग आसानी से कर सकता है ।
इस मुफ्त सॉफ्टवेयर में उपर्युक्त शब्दसंसाधक (वर्ड प्रोसेसर) विभिन्न प्रकार के पाचसौ फाँट, शब्दकोष, वर्तनी संशोधक, अक्षर से ध्वनी( टेक्स्ट टू स्पीच ) प्रकाशकीय अक्षर पहचान तंत्र ( ओ.सी.आर)मशीनी अनुवाद आदि सुविधाएँ उपलब्ध है।
इस मुफ्त सॉफ्टवेअर में कुछ कमियाँ भी पायी गई है। लेकिन कंप्यूटर पर हिंदी भाषा का प्रसार करने की दिशा में भारत सरकार का यह महत्वपूर्ण कदम है। इस सॉफ्टवेअर को उन्नत करने की काफी गुंजाईश है।सॉफ्टवेअर के पंडितों ने अपने सूझाव सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार को भेजने चाहिए। हम आशा कर सकते है कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय भाषाओं का अस्तित्व निरंतर बढता रहेगा। कंप्यूटर के बिना भाषा पीछे रहना खतरे की निशानी है।


-- विजय प्रभाकर कांबळे,

सोमवार, 21 अप्रैल 2008

छलावा

छलावा

आप अकेले हैं
और भीड जुटानी हैं
दाने फेंक दो
मुर्गियों की भीड
आपके दरवाजे पर हाजिर होगी।
मालूम नहीं दुनिया का दस्तुर
दाने फेंकना कला है
या दाने चुगना कला हैं,
यह मत सोचों दाने किसके हैं?
चुगनेवाले कौन है?
या आँगन किसका है?
इश्तहार की दुनिया में
बाजार लगा है बिकनेवालों का,
कितनी मुर्गियाँ
कौनसे आँगन में किसके दाने चुग रही हैं?
वैसे दाने और मुर्गी की
उमर बहुत छोटी हैं
छलावा एक कला है,
छल करनेवालों की उमर बहुत लंबी होती हैं।

- विजय प्रभाकर नगरकर

रविवार, 20 अप्रैल 2008

मोबाईल में हिंदी

मोबाइल में हिंदी
विजय प्रभाकर नगरकर 


विश्व की अस्सी प्रतिशत जनसंख्या अब मोबाइल नेटवर्क से जुड़ गई है। 2010 तक यह नेटवर्क नब्बे प्रतिशत जनसंख्या तक पहुँच जाएगा। दूरसंचार क्षेत्र में मोबाइल सेवा के आगमन से सुविधाएँ बढ़ गई हैं। लैंडलाईन टेलिफ़ोन स्थिर और वायर से जुड़ा रहता है। संपर्क के लिए व्यक़्ति टेलिफ़ोन के पास उपलब्ध होना आवश्यक है।

व्यक़्ति चंचल और अस्थिर प्राणी है। वह किसी एक स्थान पर ज़्यादा देर टिका नहीं पा सकता है। वह अपने कामकाज के लिए स्थान बदलता रहता है। दूरसंचार के आधुनिक तकनीक की उत्क्रांती से मोबाइल धारकों की संख्या बढ़ रही है। लैंडलाईन टेलिफ़ोन की तुलना में मोबाइल फ़ोन में अनेक सुविधाएँ प्रदान की गई हैं। लैंडलाईन टेलिफ़ोन सेवा के अंतर्गत आप डायल करके बात कर सकते हैं। लैंडलाईन उपकरण का उपयोग सिर्फ़ बात करने के लिए हो रहा था। लेकिन मोबाइल एक सुविधा संपन्न संचार उपकरण है। मोबाइल फ़ोन द्वारा संक्षिप्त संदेश सेवा(एस.एम.एस.) का प्रचलन बढ़ गया है। आधुनिक विंडो आधारित मोबाइल उपकरणों में वर्ड, एक्सेल, पॉवर पॉइंट आदि सुविधाएँ प्रदान की गई है।

संचार माध्यमों में भाषा का प्रवाह गतिमान रहता है। कोई भी नई तकनीक युरोप से बाज़ार में उतारी जाती है। इसलिए मोबाइल हैंडसेट में भी प्रथमतः अंग्रेज़ी भाषा का एकाधिकार रहा। लेकिन भारतीय परिवेश में भारतीय भाषाओं की सुविधा प्रदान करना अनेक देशी-विदेशी कंपनियों को व्यापारनीति के लिए बाध्य रहा। भारतीय बाज़ार में मोबाइल क्रांति लाने के लिए भारतीय भाषाओं की सहायता ली गई। आखिर हम कब तक अपने परिवार सदस्यों को किसी विशेष प्रसंग पर अंग्रेज़ी में एस.एम.एस. करते रहते?

आज कल मोबाइल हैंडसेट पर हिंदी-मराठी में एस.एम.एस. तथा शब्द संसाधनों को प्रचलन बढ़ गया है। मोबाइल धारकों में संवाद के लिए बातचीत के अलावा एस.एम.एस. का प्रयोग बढ़ रहा है। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के आँकड़ों के अनुसार मोबाइल धारकों की संख्या वर्ष 2007 के मई माह में 13,06,07955 है जो अब काफ़ी आगे निकल जाएगी। इसमें भेजे गए एस.एम.एस. की संख्या 2003 में 11 दशलक्ष्य रही।

मोबाइल उपकरणों का बाज़ार तेज़ी से बढ़ रहा है। भारतीय ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए नोकिया कंपनी ने अपने मोबाइल उपकरणों (मॉडेल 1100, 1160, 6030) में देवनागरी लिपि का प्रयोग एस.एम.एस. के लिए उपलब्ध किया है। मोबाइल उपकरणों में हैंड-हेल्ड, वायरलेस, पॉकेट पी.सी, पामटॉप, पामसाईज़, आई-फ़ोन उपकरणों की नयी शृंखला बाज़ार में उतारी गई है। इनकी ऑपरेटिंग सिस्टम भी अलग-अलग है। फ़ोटो पाम, ओ.एस., पॉकेट पी.सी. विंडो, सिंबीएन (Symbian), इसमें भारतीय भाषाओं का स्थानीयीकरण करना एक जटील प्रक्रिया है। सिबिएन नोकिया में एस.डी. के तीन विभिन्न सिरीज़ जैसे सिरीज-60, सिरीज-80, तथा सिरीज-90 मोबाइल उपकरण में अनेक एप्लीकेशन का डिज़ाईन करने के लिए विजूअल स्टूडिओ, विजूअल स्टुडिओ नेट, नेट, जे-बिल्डर, डेल्फि, सी++ तथा कोड वारीअर के टूल्स का प्रयोग किया जाता है। मोबाइल एप्लिकेशन के विभिन्न प्लेटफ़ार्म्स जैसे विंडो- विन-32 तथा डॉट नेट, जावा तथा नेट एम-ई, सिंबिएन के लिए नोकिया ने अनेक थर्ड पार्टी टूल्स जैसे क्रास फ़ायर का प्रयोग किया गया है।

ग्राफ़िक्स युजर इंटरफेस(GUI) मोबाइल स्क्रीन के अनुरूप डिज़ाईन करना, भाषा प्रदर्शित करने के लिए समास चिन्हों के नियमों का विकास, अलग-अलग स्क्रीन, की-बोर्ड अथवा स्टाइलस द्वारा शब्द टाईप करने की प्रक्रिया, ऑपरेटींग सिस्टम में यूनिकोड की सहायता, अनुवाद शैली, स्क्रीन लै-आउट, आयकॉन का प्रयोग आदि बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि मोबाइल हैंडसेट में भाषा का प्रयोग किया जा सके।

भाषा को मोबाइल में स्थापित करने में कुछ समस्याएँ सामने आ रही हैं। भाषा के विशेष प्रतीक चिन्हों का प्रयोग, अनुवाद में संक्षिप्त अक्षरों की रचना आदि समस्याओं का निराकरण किया जाता है। मोबाइल में भारतीय भाषाओं को पूर्णतः विकसित करने के लिए कुछ बातों की ओर विशेष ध्यान देना होगा। मोबाइल उपकरण के लिए, भारतीय भाषाओं के अनेक फाँट विकसित करने होंगे। भारतीय भाषाओं को सुव्यवस्थित चलाने के लिए ब्राउज़र को विकसित करना होगा। भारतीय भाषाओं की वेबसाईट का स्थानियीकरण हेतु मार्गदर्शक तत्वों का विकास करना होगा। मोबाइल पर भारतीय भाषाओं के शब्दकोष विकसित करने होंगे। मोबाइल उपकरण से भारतीय भाषाओं की वेबसाईट देखने की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। भारतीय भाषाओं का डेटाबेस खोजने के लिए अनुक्रमणिका(indexing) विकसित करनी होगी।

कनाडा की जी-कॉर्पोरेशन (Zi Corporation) कंपनी ने भविष्यसूचक पाठ (predictiive text) संक्षिप्त संदेश सेवा में हिंदी को विकसित किया। इस कंपनी ने हिंदी तथा देवनागरी लिपि की व्यवस्था मोबाइल उपकरण में विकसित की है। ezi text हिंदी के माध्यम से नूतन की-बोर्ड लेआऊट की सहायता से टंकन का काम आसान हो गया है। मोबाइल पर टंकलेखन के लिए अब अनेक की टैप करने की ज़रूरत नहीं है। इस प्रणाली में प्रयोग में लाए गए शब्दों का शब्दकोष (Used word dictionary) की सहायता से मोबाइल धारकों की सुविधा के लिए भविष्य सूचक पाठ तथा शब्दों को तुरंत प्रदर्शित किया जाता है। जिसके कारण टंकलेखन आसान तथा जल्द हो जाता है।

मोबाइल उपकरणों में बहुभाषिक सुविधा उपलब्ध होने के कारण नोकिया कंपनी ने अपने हैंडसेट नंबर - 1100, 1110, 1112, 1600, 1800, 2310, 6030, 6070 आदि हैंडसेट में हिंदी भाषा को शामिल किया गया है। यह हैंडसेट हिंदी में संदेश भेजने और पाने में सक्षम है। यह एक नेटवर्क आधारित सुविधा है। अपने नेटवर्क ऑपरेटर से इस सुविधा की उपलब्धता की जानकारी मोबाइल धारक को होनी चाहिए। हिंदी भाषा में 42 व्यंजन और 11 स्वर होते है। इन अक्षरों को टाइपरायटर तथा कंप्यूटर पर टाइप करने के लिए विस्तृत की-बोर्ड उपलब्ध रहता है लेकिन मोबाइल हैंडसेट में सीमित की-बोर्ड उपलब्ध होता है। इसलिए सीमित की-बोर्ड की सहायता से व्यंजनों के मिश्रण, किसी व्यंजन के बाद स्वतंत्र स्वर तथा विशिष्ट अक्षरों का सूचिपत्र खोल के पाठ का टंकन किया जाता है। हिंदी पाठ्यलेखन की विधि नोकिया कंपनी ने प्रयोक्ता मार्गदर्शिका में हिंदी भाषा में प्रस्तुत की है। हैंडसेट के कुल 12 कुंजी दबाने पर हिंदी पाठ टंकित किया जाता है। इसके लिए हिंदी कुंजीपटल की संरचना ध्यान से पढ़नी चाहिए। नोकिया कंपनी ने लेखन भाषा सेटिंग, हिंदी कुंजीपटल, अक्षर-लेखन, अक्षर हटाना साधारण शब्द, व्यंजनों का मिश्रण, व्यंजन के बाद स्वतंत्र स्वर लगाना, विशिष्ट अक्षरों के सूचिपत्र को खोलना, रेफा अक्षर लिखना, हलंत अक्षर लिखना, रकार अक्षर लिखना, टी-9 शब्दकोश का प्रयोग, हिंदी पाठ्यलेखन को अन्य फीचरों के साथ इस्तेमाल करना आदि संबंधित विस्तृत मार्गदर्शन नोकिया 2310 प्रयोक्ता मार्गदर्शिका में दिया है।

हिंदी भाषा के साथ-साथ अंग्रेज़ी भाषा के वाक्यों का मिश्रण एस.एम.एस. में किया जा सकता है। क्षेत्रीय भाषाओं का पाठ हैंडसेट द्वारा टाईप करने की सुविधा प्रदान की जाती है। हैंडसेट उत्पाद करते समय क्षेत्रीय भाषाओं को स्थापित करना चाहिए। मोबाइल के आधुनिक उपकरणों में भाषा के बंधन टूटने चाहिए। भारतीय बाज़ार में स्थापित नोकिया, मोटोरोला, सोनी एरिक्सन आदि मोबाइल हैंडसेट निर्माताओं ने चेन्नई, दिल्ली में फैक्टरी खोल दी है। विदेशी कंपनियाँ भारतीय बाज़ार की माँग ध्यान में रखते हुए मोबाइल हैंडसेट में भारतीय लिपि का प्रयोग बढ़ाने के लिए तैयार है। ज़रूरत इस बात की है कि हम आधुनिक उपकरण तथा उसके भारतीय भाषाओं में प्रयोग में लाने के लिए कितने सतर्क है।

AOL की कंपनी हेजीक कम्युनिकेशन ने मोबाइल हैंडसेट में टाईपिंग सुविधा हेतु T9 सिंगल टैब तकनीक का विकास किया है। मोबाइल फ़ोन हैंडसेट पर T9 ने अब तक चालीस भाषाओं को विकसित किया है। नोकिया ने Made For India Model 1100 में देवनागरी लिपि का प्रयोग किया है। मोटोरोला कंपनी ने अपनी व्यवस्था के अनुसार iTAP की सुविधा प्रदान की है।

C-DAC पुणे ने लीला प्रबोध कोर्स अब मोबाइल हैंडसेट पर उपलब्ध किया है। कृत्रिम बुद्धि तकनीक पर आधारित लीला सॉफ्टवेअर अब कंप्यूटर के साथ मोबाइल पर उपलब्ध हो गया है। ध्वनि और चित्र के साथ हिंदी सीखना अब आसान हो गया है। यह सुविधा मल्टी मीडिया कार्ड MMC द्वारा उपलब्ध हो गई है। इस मोबाइल पॅकेज की सहायता से देवनागरी अक्षरों की पहचान, पढ़ना, सुनना, हिंदी शब्दों का उच्चारण, व्याकरण, व्हिडीओ क्लिप, हिंदी अनुवाद, हिंदी-अंग्रेज़ी शब्दकोष आदि सुविधाएँ मोबाइलधारक को मैत्रीपूर्ण शैली में प्राप्त हो गई है। यह मोबाइल प्रबोध मल्टिमीडिया कार्ड सी-डैक से प्राप्त किया जा सकता है।

सी-डैक के जिस्ट लैब ने सेल्यूलर फ़ोन्स में भारतीय भाषाओं के लिए तकनीक का विकास किया है। मोबाइल हैंडसेट द्वारा भारतीय भाषाओं में एस.एम.एस. तथा ई-मेल, भेजा जा सकता है। सभी भारतीय भाषाओं की लिपि ब्राह्मी लिपि पर आधारित है। सभी भारतीय भाषाएँ स्वराधित होने के कारण मोबाइल हैंडसेट के की-बोर्ड द्वारा किसी भी भारतीय भाषाओं में एस.एम.एस. भेजा जा सकता है। इस्की (ISCII) मानक के अनुरूप फाँट्स का निर्माण किया गया है। यूनिकोड के मुकाबले इस्की पर आधारित पाठ्य संकलन के लिए बहुत कम जगह लगती है। अंतर्राष्ट्रीय मानक यू.टी.एफ., यूनिकोड के अनुरूप मोबाइल सॉफ्टवेअर बनाया गया है। सैमसंग, मोटोरोला, सोनी हरीक्सन आदि कंपनियों ने सी-डैक जिस्ट के साथ करार किया है। सैमसन के सी.डी.एम.ए. आधारित भारतीय भाषाओं से संपन्न मोबाइल हैंडसेट बाज़ार में उपलब्ध हो गए।

मोबाइल पर विदेशी पर्यटकों के लिए अंग्रेज़ी-हिंदी शब्दकोश, अनुवाद, विडियो आदि सुविधा उपलब्ध हो गई है। इसमें पर्यटन, बाज़ार, सामाजिक प्रसंग पर अनेक हिंदी के विकल्प उपलब्ध किए गए हैं।

मोबाइल सेवा के अंतर्गत WAP 07, 3-जी तकनीक पर आधारित मल्टीमीडिया सेवाएँ जैसे मल्टीमीडिया मैसेजींग सर्विस (MMS), व्हिडियो मैसेजिंग, संगीत, गेम, समाचार, चित्रपट, मनोरंजन आदि सेवाओं का आस्वाद मोबाइल इंटरनेट द्वारा किया जा रहा है। मोबाइल के क्षेत्र में संचार, मीडिया तथा मनोरंजन व्यवसायों का मिलाप हो गया है। इसलिए अब संबंधित सॉफ़्टवेअर कंटेंट डेवलपर्स, उपकरण निर्माता, विपणन तथा विज्ञापन का क्षेत्र बहुत तेज़ी से विकसित हो रहा है। भारत में हिंदी फ़िल्मों तथा हिंदी गीतों ने हिंदी भाषा का प्रसार आम आदमी तक किया है। विश्व में बॉलीवुड की फ़िल्मों की लोकप्रियता बढ़ रही है। भारतीय संगीत तथा चित्रपट व्यवसाय के लिए अब मोबाइल फ़ोन धारक महत्वपूर्ण घटक बन गया है। ध्वनि, चित्र के साथ-साथ भारतीय भाषाओं की लिपि का भी विकास बाज़ार की माँग के अनुरूप मोबाइल सेवा में धीरे-धीरे बढ़ जाएगा। मोबाइल हैंडसेट के लिए अब भारतीय भाषाओं में ई-बुक, ई-समाचार, ई-बैंकिंग, ई-कॉमर्स आदि सेवाएँ उपलब्ध होने के आसार दिखाई देने लगे हैं।

GSM Association ने मोबाइल उत्पादकों के लिए बहुभाषिक सुविधाएँ प्रदान करने के लिए विश्वस्तर पर कुछ तकनीकी बाध्यता घोषित की है। विश्व स्तर पर किसी भी मोबाइल उत्पादक कंपनी को बहुभाषा सहायता के लिए सिफ़ारिश ड्राफ्ट-TN (TWG 130/01), बहुभाषी सहायक मोबाइल उपकरण निर्माण करने के लिए (TWG 133/01r1) का अनुपालन करना होगा। जीएसंएम असोसिएशन ने जीएसएम ऑपरेटर्स तथा जीएसएम मोबाइल उपकरण उत्पादकों के लिए एक नियम प्रणाली PRD TW.12तैयार की है। हमें यह देखना होगा कि भारतीय भाषाओं के अनुरूप इन मोबाइल उपकरण की तकनीकी बाध्यता पूरी हो रही है या नहीं। यूनिवर्सल सर्विस फंड के प्रावधान के अनुसार ग्रामिण क्षेत्र के नेटवर्क का विकास किया जाएगा। इस फंड में अमेरिकन डॉलर 1.12 मिलियन की राशि उपलब्ध है। जिसमें अबतक 73 प्रतिशत राशि का वितरण होने बाकी है। भारत में अनेक विदेशी मोबाइल कंपनियाँ अपना नेटवर्क बढ़ा रही है। इस यूनिवर्सल सर्विस फंड के प्रावधान का उचित फ़ायदा भारत सरकार ने उठा कर मोबाइल सेवा में भारतीय भाषाओं को उचित सम्मान करना चाहिए।

24 जुलाई 2007

शुक्रवार, 18 अप्रैल 2008

मशीनी अनुवाद अँग्रेजी-हिंदी

मशीनी अनुवाद-विजय प्रभाकर कांबले

सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेज़ी से परिवर्तन हो रहे हैं। कंप्यूटरीकरण के इस दौर में भाषा भी पीछे नहीं रह सकती। हिंदी भाषा ने भी कंप्यूटरीकरण के क्षेत्र में अपना स्थान ग्रहण किया है। आज हिंदी में कार्य करने के लिए अनेक सॉफ्टवेअर बाज़ार में उपलब्ध हैं। मशीनी अनुवाद क्षेत्र में अनेक शास्त्रज्ञ तथा भाषा विद्वान अनेक सालों से अनुसंधान कर रहे थे। अब भारतीय कंप्यूटर तंत्रज्ञों ने अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद करनेवाला तंत्र ढूँढ निकाला है।
राजभाषा नियमानुसार हर सरकारी कार्यालय को धारा 3(3) के अंतर्गत जारी काग़ज़ात जैसे संकल्प, साधारण आदेश, अधिसूचनाएँ, प्रेस विज्ञप्ति, निविदा प्रारूप आदि द्विभाषा में जारी करना अनिवार्य है। संसदीय राजभाषा निरीक्षण समिति द्वारा इन काग़ज़ातों का कड़ाई से निरीक्षण किया जाता है। लेकिन आमतौर हर कार्यालय से ऐसे सभी काग़ज़ात सिर्फ़ अंग्रेज़ी में जारी किए जाते हैं। अंग्रेज़ी में जारी आदेश पर लिखा होता है, Hindi version will follow! दुर्भाग्य है कि ऐसे आदेश बहुत कम समय पर हिंदी में जारी किए जाते हैं। हर कार्यालय की अपनी मजबूरी रहती है जैसे हिंदी अधिकारी या हिंदी अनुवादक पदों का न रहना, सरकारी कामकाज़ में हिंदी का अपर्याप्त ज्ञान, हिंदी टाइपिंग का अभाव आदि।
सी डैक नोएडा के नैचरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग विभाग ने ट्रांसलेशन सपोर्ट सिस्टम का सफल विकास किया है। ज्ञान भांडार अंग्रेज़ी भाषा में कैद रहेगा तो आम हिंदी जाननेवाला आदमी प्रतियोगिता में पिछड़ जाएगा। हिंदी अनुवादक की जटिल कार्यप्रणाली और टंकलेखन से अब आपको राहत मिल सकती है। समय मूल्यवान है। कम समय में महत्वपूर्ण सूचनाएँ भेजना ज़रूरी रहता है।
सरकारी कार्यालय में राजभाषा हिंदी का पत्राचार बढ़ाना ज़रूरी है इसलिए मशीनी अनुवाद सुविधा का लाभ उठाना चाहिए।
सी-डैक नोएडा ने टी.स़ी.एस. (Translation Support System) सॉफ्टवेयर विकसित किया है। आवश्यकताएँ विंडो एक्स पी या विंडो 2000 जी यू आई सहायता सह कम से कम 64 एम बी रॅम/60 एम बी की जगह तथा पैंटियम आधारित प्रोसेसर की आवश्यकता है। ट्रांसलेशन सपोर्ट सिस्टम में निम्नलिखित खूबियाँ हैं-
अनुवाद : टी. एस. एस. मेनू के ट्रांसलेशन पर क्लिक करने पर आप दो विंडोज(पैनल देख पाएँगे) इस में प्रयोक्ता के सामने अंग्रेज़ी और हिंदी अलग पैनेल दिखाई देंगे। बाईं और अंग्रेज़ी पैनल में फाइल, स्पेल चेक, ट्रांसलेट तथा 9 ट्रांसलेशन बटन होंगे। आप अंग्रेज़ी पाठ टाईप कर सकते हैं या आपके किसी फोल्डर से चुनकर रख सकते हैं। यह अंग्रेज़ी पाठ आप दाईं ओर की पैनल में हिंदी में अनुवाद के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। हिंदी अनुवाद आप किसी भी फ़ाईल में सेव आउटपुट बटन के द्वारा संग्रहित कर पाएँगे। हिंदी में अनुदित पाठ में कुछ नीले रंग का पाठ यह दर्शाता है कि इस पाठ में अनुवाद के कई विकल्प उपलब्ध है। इसमें सही अनुवाद को चुनना है। इसमें 9 बटन उपलब्ध हैं।
1. फ़ाइल - इस बटन की सहायता से आपके कंप्यूटर स्थित किसी फ़ाइल को अनुवाद हेतु लिया जा सकता है।
2. वर्तनी जांचक (Spell Checker) - बाईं ओर के पैनल में अंग्रेज़ी पाठ की वर्तनी जाँच की जा सकती है। अगर कोई शब्द उपलब्ध नहीं हो रहा है तो प्रयोगत: संबंधित शब्द की प्रविष्टि की जा सकती है। सजेस्ट, चेंज तथा इग्नोर द्वारा क्रमश: अनेक सुझाव, परिवर्तन तथा यथास्थिति बनाए रखने का विकल्प भी उपलब्ध है।
3. अनुवाद - इस बटन पर क्लिक करते ही दाईं ओर की पैनल में हिंदी अनुवाद मिलना शुरू हो जाएगा। अनुवाद कार्य संपन्न होते समय पर्दे पर प्रोग्रेस बार दिखाई देगा।
4. नो ट्रांसलेशन - अगर आप किसी अंग्रेज़ी पाठ का अनुवाद नहीं करना चाहते हो तो इस बटन द्वारा संबंधित पाठ को हायलाइट करके यथास्थित अंग्रेज़ी रख सकते हैं।
5.सेव इन पुट - इस बटन द्वारा अंग्रेज़ी पाठ को वांछित स्थान पर सेव ऍज़ कर के रख सकते हैं।
6. सेव आऊट पुट - इस बटन की सहायता से हिंदी में प्राप्त अनुवाद को आप किसी वांछित फ़ाइल में किसी भी जगह सेव ऍज करके रख सकते हैं।
7. सिलेक्ट सेंटेंस - बहु विकल्प सुविधा के द्वारा आप किसी उचित वाक्य को चुन सकते हैं। इस बटन पर क्लिक करने पर एक विंडो में अनेक वाक्यों के विकल्प आपको प्राप्त हो जाएँगे। इसमें उचित वाक्य को हाइलाइट करके एडिटर में स्थानांतरित कर सकते हैं। इस मेन्यू में अन्य छ: बटन उपलब्ध हैं। जिसमें नेक्स्ट बटन, प्रीवियस बटन, वर्ड बटन, एक्सेप्ट बटन, एक्सेप्ट सेंटेंस तथा क्विट बटन उपलब्ध है।
स्वीकृत वाक्य को हिंदी एडिटर के द्वारा वाक्य की रचना को कुछ जगह पर ठीक किया जा सकता है। इस एडिटर में सुशा फांट में टाइप किया जा सकता है। स्क्रीन पर सुशा की-बोर्ड-लेआउट ऑनलाइन उपलब्ध है। इस सॉफ्टवेअर में उपलब्ध शब्दकोश में प्रयोग करने वाला अपनी ओर से विशेष शब्द भी दर्ज़ कर सकता है। मशीन आधारित अनुवाद की इस सुविधा से राजभाषा वार्षिक कार्यक्रम के लक्ष्य के अनुसार हिंदी का उपयोग बढ़ाया जा सकता है।
अधिक जानकारी के लिए श्री वी.एन. श़ुक्ला, निदेशक, नैचरल लैगवेज प्रोसेसिंग डिवीजन, सी-डैक नोएडा, सी-56/1 सेक्टर-62, नोएडा 201307 फ़ोन 0120-2402551 एक्स्टेंशन 418 पर संपर्क कर सकते हैं।ई मेल - vnshukla@cadacnoida.com24 अप्रैल 2005

भारतीय भाषाओं में कंप्यूटर का विकास

भारतीय भाषाओं में कंप्यूटर
और विश्वजाल का विकास

-विजय प्रभाकर कांबले


भारतीय भाषाओं में कंप्यूटर का विकास
यूनेस्को की व्याख्या के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी एक शास्त्रीय, तकनीकी, प्रबंधकीय एवं अभियांत्रिकी शाखा है, जो सूचनाओं के तंत्र को विकसित करके उसका प्रयोग कंप्यूटर के माध्यम से करते हुए मानव और मशीन के बीच सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिवेश को सुदृढ़ और सबल बनाती है।

सूचना प्रौद्योगिकी एक सरल तंत्र हैं जो तकनीकी उपकरणों के सहारे सूचनाओं का संकलन, प्रक्रिया एवं संप्रेषण करता है।

भारत एक बहु भाषिक देश है। भारतीय संविधान में राजभाषा हिंदी सहित कुल 18 भाषाओं को स्थान प्राप्त हुआ है। भाषावार प्रांत रचना के फलस्वरूप विभिन्न प्रातों में अलग-अलग भाषाओं का प्रचलन बढ़ गया है। विभिन्न भारतीय भाषाओं के बीच हिंदी भाषा एक पुल हैं जिसके सहारे विभिन्न भारतीय भाषाओं में समन्वय निर्माण किया गया है। देश के अधिकांश भागों में धर्म, व्यापार, पर्यटन के क्षेत्र में हिंदी भाषा का समुचित प्रयोग किया जाता है।

औद्योगिक क्रांति में मशीनों के सहारे उत्पादकता बढ़ी है और गुणवत्ता में एकरूपता आई है। 1947 में ट्रांज़िस्टर, 1971 में माइक्रोप्रोसेसर के विकास से कंप्यूटर का आकार छोटा और गणना शक्ति विशाल हो गई है। छोटे और अधिक शक्तिशाली कंप्यूटर के द्वारा व्यापार, शिक्षा, कार्यालय आदि अनेक क्षेत्रों में तेज़ी से विकास हुआ है। कंप्यूटर में हिंदी प्रयोग की बढ़ती संभावनाओं को ध्यान में रखकर इलेक्ट्रानिकी विभाग ने "भारतीय भाषाओं के लिए टेक्नॉलॉजी विकास नामक परियोजना के अंतर्गत कई प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। संघ की राजभाषा नीति के अनुसार हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए सभी सरकारी अर्ध सरकारी, सरकारी उद्यमों में हिंदी भाषा का प्रयोग अनिवार्य किया गया है।

किसी भी प्रजातंत्र में सरकारी अथवा निजी संघठन में जन भाषा का सम्मान करना फलप्रद होता है। सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए सूचनाओं का माध्यम जनभाषा होना ज़रूरी है।

इंटर नेट प्रणाली के महाशक्तिशाली तंत्र में भाषा का अपना एक विशिष्ट स्थान होता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेज़ी, मंडारिन, फ्रांसीसी, जापानी, अरबी, स्पेनिश आदि भाषाएँ कंप्यूटर क्षेत्र में काफ़ी आगे बढ़ गई है साथ ही इनका प्रयोग भी। दुर्भाग्य से भारत में कंप्यूटर पर भारतीय भाषाओं का प्रचार-प्रसार बहुत धीमी गति से हुआ है। आज हम दूरदर्शन पर जापानी या चीनी शेअर बाज़ार का दृश्य देखते हैं तब यह मालूम होता है कि वहाँ के सभी बोर्ड, सूचनाएँ जापानी या चीनी भाषा में प्रदर्शित होते हैं। हमारे देश में शेअर बाज़ार का दृश्य कुछ अलग होता है। आम भारतीय निवेशक अपनी पूँजी भारतीय अथवा विदेशी कंपनियों के शेअरों में केवल अंग्रेज़ी भाषा में उपलब्ध प्रपत्र में ही प्रस्तुत करने के लिए विवश है। भाषाओं की इस असुविधा को हटाना ज़रूरी है। आर्थिक उदारीकरण के तहत भारत के बाज़ार विदेशी कंपनियों के लिए खुले किए जा रहे हैं। विदेशी कंपनियाँ भारतीय उपभोक्ताओं को आकर्षित करने हेतु भारतीय भाषाओं का बखूबी से प्रयोग कर रही हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी के तहत मशीनी अनुवाद एवं लिप्यंतरण सहज एवं सरल हो गया है। सी-डैक पुणे ने सरकारी कार्यालयों के लिए अंग्रेज़ी-हिंदी में पारस्पारिक कार्यालयीन सामग्री का अनुवाद (निविदा सूचना, स्थानांतरण आदेश, गज़ट परिपत्र आदि) करने हेतु मशीन असिस्टेड ट्रांसलेशन "मंत्रा" पॅकेज विकसित किया है। हिंदी भाषा में वैबपेज विकसित करने हेतु "प्लग इन" ( Plug in ) पॅकेज तैयार किया है जिससे कोई भी व्यक्ति/संस्था अपना वैबपेज हिंदी में प्रकाशित कर सकता है।

अब वर्तमान स्थिति में वैबसाइट पर हिंदी इलेक्ट्रॉनिक शब्दकोष उपलब्ध है। इसी तरह अंग्रेज़ी तथा भारतीय भाषाओं में पारस्पारिक अनुवाद प्राप्त करने की सुविधा भी उपलब्ध है। कन्नड हिंदी के बीच "अनुसारक" सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। हिंदी और दक्षिण भारतीय भाषाओं के बीच अनुवाद सॉफ्टवेयर का विकास आई.आई.टी. कानपुर तथा हैदराबाद विश्वविद्यालय में किया जा रहा है। अंग्रेज़ी हिंदी अनुवाद हेतु एम.सी.एस.टी. में समाचारपत्रों एवं कहानियों के लिए तथा सी-डैक पुणे में प्रशासनिक सामग्री के लिए विशेष सॉफ्टवेयर विकसित किए गए हैं। सी-डैक पुणे द्वारा निर्मित लीप-ऑफ़िस सॉफ्टवेयर में अंग्रेज़ी हिंदी शब्दकोष, अनुवाद, समानार्थी शब्दकोष, हिंदी में -मेल आदि अंग्रेज़ी भाषा के समकक्ष सभी सुविधाओं को प्रस्तुत किया गया है।

कंप्यूटर एवं इंटरनेट के सहारे शिक्षा का प्रसार तीव्र गति से होने की संभावना बढ़ गई हैं। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात की सुविधा के अभाव स्वरूप कई बच्चे स्कूल नहीं जा सकते। हर गाँव में पाठशाला का प्रबंध सरकार द्वारा किया जाता है लेकिन प्रशिक्षित शिक्षक एवं साधन सामग्री के अभाव फलस्वरूप शिक्षा का प्रसार बहुत धीमी गति से हो रहा है। आने वाले दिनों में हर स्कूल, महाविद्यालय में कंप्यूटर एवं इंटरनेट सेवा अनिवार्य हो जाएगी। एन.आय.सी पुणे ने वारणानगर गोकुल दूध डेअरी परिसर हेतु कंप्यूटर पर मराठी भाषा को स्थापित किया है। इसके द्वारा ग्रामीण किसान छात्र अपनी भाषा में कंप्यूटर के सहारे दैनंदिन कामकाज करने में सक्षम हो गए हैं। सूचना प्रौद्योगिकी में हिंदी भाषा का प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। माइक्रोसॉफ्ट, याहू, रेडिफ आदि विदेशी कंपनियों ने अपनी वैबसाइट पर हिंदी भाषा को स्थान दिया है। बी.बी.सी. ने भी पंजाबी, बंगाली के साथ-साथ हिंदी में वैबसाइट विकसित की है। सूचना प्रौद्योगिकी में -कॉमर्स, -गवर्नस क्षेत्र में हिंदी का विकास धीरे-धीरे हो रहा है। भारत सरकार के नेशनल सेंटर फार सॉफ्टवेअर टेक्नॉलॉजी ( NCST) ने सभी भारतीय भाषाओं की लिपि को कंप्यूटर पर स्थापित करने हेतु विशेष अभियान चलाया है। अमेरिकन माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने एन.सी.एस.टी के साथ एक संयुक्त योजना के तहत विश्व प्रसिद्ध विंडोज़ प्रणाली पर भारतीय भाषाओं को विकसित करने का कार्य शुरू किया है। एम.एस.ऑफ़िस सॉफ्टवेअर-2000 के दक्षिण एशियाई संस्करण में अब तमिल और देवनागरी लिपि को स्थापित किया गया है। भारत की आम जनता भारतीय भाषाओं में तथा दृश्य चित्र और स्पर्श के सहारे कंप्यूटर का प्रयोग सभी क्षेत्रों में कर सकेगी।

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने खार घर (नई मुंबई) स्थित : एकड़ भूमि में पच्चीस करोड़ राशि की लागत से भारतीय भाषाओं के सॉफ्टवेअर विकसित करने हेतु कार्य शुरू किया है। सी-डैक ने इंडबाज़ार डॉट कॉम ( Indbazaar.com) के सहयोग से हिंदी भाषा सीखने हेतु "लीला" नामक वैबसाइट उपलब्ध करवाई है। इस वैबसाइट के सहारे भारतीय भाषाओं की पढ़ाई ऑनलाइन मुफ़्त प्रदान की जा रही है। संस्कृत भाषा का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व ध्यान में रखते हुए सी-डैक ने चारों वेद एवं अन्य पौराणिक ग्रंथों को व्यास नामक वैबसाइट पर प्रकाशित किया है। रेडिफ, भारत मेल, जिस्ट मेल, अपना मेल, वी.एस.एन.एल., वैब दुनिया, जागरण आदि अनेक भारतीय एवं विदेशी साईट पर भी -मेल में हिंदी की सुविधा बहाल की गई है। सूचना प्रौद्योगिकी के आधुनिक उपकरणों का प्रसार आम जनता तक पहुँचाने हेतु सिम कंप्यूटर जैसे सस्ते उपकरण उपलब्ध करवाने हेतु सरकार प्रयत्नशील है।

विज्ञान का अंतिम लक्ष्य साधारण ग़रीब व्यक्ति के आर्थिक सामाजिक विकास में सहायता करना है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय युवकों ने अपनी प्रतिभा एवं अंग्रेज़ी भाषा पर प्रभुत्व के कारण अमेरिका के सिलीकॉन वैली में कार्यरत माइक्रोसॉफ्ट, पैंटियम, इंटेल आदि कंप्यूटर क्षेत्र में 50 प्रतिशत भागीदारी दर्ज़ है। विदेशी कंपनियों के सीमित लक्ष को ध्यान में रखते हुए भारतीय युवक कुछ कालावधि के लिए अनुबंध करके विदेश में चले जाते हैं। लेकिन बदली आर्थिक स्थिति में विदेशी कंपनियाँ भारतीय युवकों को अनुबंध भंग करके लौटा रहे हैं। विदेश में प्रशिक्षित कंप्यूटर इंजीनियर को आकर्षित करके भारतीय भाषाओं को सूचना प्रौद्योगिकी में विकसित करना चाहिए।

भारत में नव-निर्मित सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने यह जान लिया है कि देश में डिजिटल विभाजन बढ़ गया है। इंटरनेट का प्रयोग कुछ सीमित अंग्रेज़ी जानने वाले अमीर लोगों तक सीमित है। ग्रामीण क्षेत्र में दूरसंचार नेटवर्क विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। इंटरनेट विकास हेतु दूरसंचार क्षेत्र को आधार बनाया गया है। नेशनल इंटरनेट बैकबोन (राष्ट्रीय इंटरनेट ढाँचा) विकसित करने में दूरसंचार की अहम भूमिका होगी। विदेश की तुलना में भारत में दूरसंचार घनता प्रति व्यक्ति दो या तीन है जबकि चीनी, जापान आदि एशियन देशों में यह प्रतिशत 15-20 तक है।

भारत सरकार की नीति के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र का राजस्व रिकार्ड भारतीय भाषा में विकसित किया जा रहा है। लैंड रिकार्ड नामक महत्वाकांक्षी योजना में हिंदी भाषा का प्रयोग बढ़ने की संभावना है। आने वाले दिनों में उत्तर भारत का साधारण पटवारी लैंड रिकार्ड हिंदी में कंप्यूटर पर तुरंत प्रस्तुत करेगा।

कंप्यूटर की सहायता से विश्वविद्यालय, स्कूल में शिक्षा का प्रसार बढ़ाया जा सकता है। आज अमेरिका में एम.आई.टी. संस्था ने अपने सभी पाठ्यक्रम इंटरनेट पर मुफ़्त प्रस्तुत किए हैं। डिप्लोमा से लेकर पी-एच.डी, डी-लिट तक सभी पाठ्यक्रम विश्व के किसी भी कोने में बैठकर इंटरनेट द्वारा हासिल किए जा सकते हैं।

स्कूली स्तर पर हिंदी भाषा का पाठ्यक्रम प्रयोजन मूलक बनवाकर विज्ञान, गणित, वाणिज्य आदि विषयों के साथ तालमेल बैठाया जाए तथा यह सामग्री इंटरनेट पर जोड़ी जाए जिससे छात्र हिंदी पाठों को रुचि से पढ़े तथा हिंदी को व्यवहार में लाए। आंतरिक प्रतिभा का विकास करने हेतु विचार अभिव्यक्ति का माध्यम मातृभाषा में होना ज़रूरी है।

इंजीनियरिंग, मेडिकल और प्रबंधन में स्नातक स्तर पर हिंदी भाषा में जनसंपर्क प्रोजेक्ट अनिवार्य हो जिससे वे लोकभाषा हिंदी में सूचना संग्रह कर सकें।

समाजोपयोगी कार्यक्रमों को आम लोगों को समझाने में समर्थ हो सकें। विचारणीय है कि यदि हमारे इंजीनियर, डॉक्टर, प्रबंधक उपयुक्त टेक्नॉलॉजी और तकनीक को जनसामान्य को जितने प्रभावी ढंग और आसानी से समझा सकेंगे देश की उन्नति तेज़ हो जाएगी। देश की प्रगति और लोकभाषा में संप्रेषण समता के बीच सीधा संबंध है।

भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के नीति निर्धारण में हिंदी भाषा को समुचित स्थान प्राप्त होना चाहिए। भारत सरकार के कई मंत्रालयों एवं विभागों की साईट पर डायनैमिक हिंदी फॉन्टस् के अभाव स्वरूप साईट पढ़ने में दिक्कतें जाती है। हर बार अलग-अलग फांट डाउन लोड करना और उसे पढ़ना असुविधा जनक महसूस होता है। सभी सरकारी वैबसाइट द्विभाषी (हिंदी-अंग्रेज़ी) होनी चाहिए लेकिन इस दिशा में बहुत कम प्रयास किए जा रहे हैं। अंग्रेज़ी वैबसाइट की तुलना में संबंधित हिंदी वैबसाइट बहुत संक्षिप्त एवं अनाकर्षक होती है। राजभाषा नियम के अनुसार सभी बैबसाइट हिंदी में तैयार करना अनिवार्य है।

इंटरनेट सेवा के अंतर्गत -मेल, चॅटिंग, वाइस मेल, -ग्रीटिंग आदि बहुपयोगी क्षेत्र में हिंदी भाषा का विकास एवं संप्रेषण की संभावनाएँ अधिक है। स्पीच रिकग्नीशन ( Speech Recognition) यह एक ध्वनि आधारित कंप्यूटर सॉफ्टवेअर है। वर्तमान स्थिति में यह पैकेज अंग्रेज़ी भाषा में उपलब्ध है। सी-डैक यह सुविधा हिंदी में उपलब्ध करवाने हेतु अनुसंधान कर रही है। स्पीच रिकग्नीशन के सहारे अनपढ़ व्यक्ति भी कंप्यूटर के सामने बैठकर अपने विचार, शिकायत, सुझाव आदि बोलकर अपनी भाषा में संबंधित कंप्यूटर पर लिपिबद्ध कर सकता है। कंप्यूटर पर हिंदी भाषा ध्वनि, चित्र, एनीमिशन के सहारे विकसित की जा रही है।

विश्वजाल पर में हिंदी और भारतीय भाषाओं का प्रसार

सूचना प्राद्यौगिकी के बदलते परिवेश में हिंदी भाषा ने अपना स्थान धीरे-धीरे प्राप्त कर लिया है। आज हमारी मानसिकता में बदलाव लाने की ज़रूरत है। आधुनिकीकरण के दौर में भाषा भी अपना स्थान ग्रहण कर लेती है। हिंदी की उपादेयता पर कोई भी प्रश्न चिह्न लगा नहीं सकता। लेकिन संकुचित स्वार्थ के कारण भारतीय भाषाओं को नकारना हमारी मानसिक गुलामी की निशानी है।

आज भले ही चीन, जापान, रूस, जर्मनी, अरब आदि अंग्रेज़ीतर देशों ने अपनी भाषा में विकास किया हो, लेकिन भारत में अगर राजभाषा, संपर्क भाषा, लोकभाषा को हम विकसित नहीं कर पाए तो यह हमारी हार होगी। जिस देश के नवयुवकों ने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर प्रणाली को विकसित किया है, उसी देश की जनता को विदेश की और मुँह ताकना पड़ता है। इस स्थिति में बदलाव लाने की ज़रूरत है। भाषा का संबंध जिस तरह मन, बुद्धि से होता है, उसी तरह उसका संबंध हर व्यक्ति के रोजी रोटी तथा पारिवारिक विकास से भी जुड़ा होता है। इसलिए सूचना प्रौद्योगिकी के नए तंत्र को समझ लेना चाहिए। विश्वस्तर के कई सॉफ्टवेयरों में अभी तक हिंदी का समावेश नहीं किया गया है।

निम्नलिखित इंटरनेट साइट पर हिंदी सहित प्रमुख भारतीय भाषाओं के लिए उपयुक्त संपर्क सूत्र, -मेल, सॉफ्टवेयर आदि जानकारी उपलब्ध है।

1. www.rajbhasha.nic.in
राजभाषा विभाग, गृहमंत्रालय, भारत सरकार की इस साइट पर राजभाषा हिंदी संबंधित नियम, अधिनियम, वार्षिक कार्यक्रम, तिमाही, अर्धवार्षिक, वार्षिक, विवरण हिंदी सीखने के लिए लिला-प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ पॅकेज आदि महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध है। इस साइट पर उपलब्ध जानकारी सभी सरकारी कार्यालयों, उपक्रमों, उद्यमों के लिए उपयुक्त हैं।

2• www.rajabhasha.com
इस साइट पर राजभाषा हिंदी संबंधित नियम, साहित्य, व्याकरण, शब्दकोश, पत्रकारिता, तकनिकी सेवा, हिंदी संसार, पूजा-अर्चना, हिंदी सीखें आदि संपर्क सूत्र उपलब्ध है।

3• www.indianlanguages.com
इस साइट पर हिंदी सहित सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं के लिए साहित्य, समाचार-पत्र, -मेल, सर्च-इंजन आदि महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध है।

4• www.tdil.mit.gov.in
सूचना पौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास (Technology Devalopment For Indian Languages) नामक इस साइट पर राजभाषा हिंदी विकास संबंधित तकनीकी जानकारी, साफ्टवेयर अनुसंधान रत संघटनों की जानकारी, भारत सरकार की योजना-भाषा-2010 आदि उपलब्ध है। इस साइट की इलेक्ट्रॉनिक पत्रिका 'विश्व भारत' अत्यंत उपयोगी है। इस साइट पर ऑनलाईन अनुवाद सेवा "आंग्ल भारती" जो आई.आई.टी. कानपुर ने प्रदान की है। भारतीय भाषाओं के लिए उपयुक्त तकनीकी जानकारी उपलब्ध है।

5• www.cdacindia.com
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने भारतीय भाषाओं के लिए इस साइट पर सॉफ्टवेयर, तकनीकी विकास संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। हिंदी, मराठी, संस्कृत और कोकणी भाषाओं के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है।

6• www.dictionary.com
इस साइट पर विश्व की प्रमुख भाषाओं के शब्दकोश, अनुवाद, समानार्थी शब्दकोश, वैब डिरेक्टरी, वायरलेस मोबाइल शब्दकोश तथा व्याकरण संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध है।

7. भारतीय वैब सर्च इंजन :

www. searchindia.com
www.jadoo.com
www. khoj.com
www.iloveindia.com
www. 123india.com
www.samilan.com
www.samachar.com
www.search.asiaco.com
www.rekha.com
www.sholay.com
www.locateindia.com
www.mapsofindia.com
www.webdunia.com
www.netjal.com
www.indiatimes.com

8• www.rosettastone.co
इस साइट पर हिंदी सहित विश्व की सभी भाषाओं को सीखने के लिए इलेक्ट्रानिक सुविधाएँ उपलब्ध है। विश्व की 80 भाषाओं का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करने हेतु पर्यटकों के लिए Gold Partner V6 नामक उपलब्ध है।

9• www.wordanywhere.com
इस साइट पर किसी भी अंग्रेज़ी शब्द का हिंदी समानार्थी शब्द तथा किसी हिंदी शब्द का अंग्रेज़ी समानार्थी शब्द प्राप्त किया जा सकता है।

10. हिंदी में -मेल की सुविधाएं :
www.epatr.com
www.mailjol.com
www.langoo.com
www.cdacindia.com
www.bharatmail.com
www.rediffmail.com
www.webdunia.com
www.danikragran.com
www.rajbhasha.nic.in

11• www.bharatdarshan.co.nz
न्यूजीलैंड में बसे मूल भारतीय लोगों ने इस साइट पर हिंदी साहित्य, कविताएँ, लघुकथाएँ, व्याकरण आदि सामग्री प्रस्तुत की है।

12• www.boloji.org
पारिवारिक रंगारंग पत्रिका जिसमें हिंदी साहित्य, कला, संस्कृति आदि संबंधित संकलन उपलब्ध है।

13• www.unl.ias.unu.edu
टोकिया विश्व विद्यालय द्वारा विकसित इस साइट पर हिंदी सहित विश्व की 15 भाषाओं के विकास के लिए अनुसंधान कार्य जारी है। इस योजना का नाम Universal Net Working Languages रखा है, जिसमें सभी शब्दकोश तथा अनुवाद कार्य के सहारे विश्व शांति एवं एकता स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। विश्व की प्रमुख 15 भाषाओं में हिंदी को कंप्यूटर में विकसित किया जा रहा है।

14• www.hindinet.com
इस साइट पर हिंदी भाषा संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी, संपर्क सूत्र उपलब्ध है। हिंदी पाठकों, भाषा शास्त्री तथा छात्रों के लिए अत्यंत उपयुक्त साईट।

15• www.microsoft.com/india/hindi2000
विश्व प्रसिद्ध माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने हिंदी भाषा के लिए एम एस ऑफ़िस-2000 पॅकेज विकसित किया है। माइक्रोसॉफ्ट के अन्य उत्पादों में हिंदी को शामिल किया गया है।

16• www.cstt.nic.in
वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार द्वारा विकसित इस साइट पर प्रशासनिक शब्दकोश सहित अनेक विषयों के तकनीकी शब्दकोश प्रस्तुत किए गए हैं। हिंदी,अंग्रेज़ी के लिए उपलब्धि शब्द-कोश कार्यालयों के लिए काफ़ी उपयोगी है।

17• www.ciil.org
केंद्रिय भारतीय भाषा संस्थान, भारत सरकार ने सभी भारतीय भाषाओं के विकास के लिए इस साइट का निर्माण किया है। सभी भारतीय भाषाओं में पारस्पारिक आदान-प्रदान के लिए यह संस्थान विशेष कार्य कर रहा है।

18• www.gadnet.com
इस साइट पर हिंदी भाषा का इतिहास, हिंदी की कविताएँ, गीत आदि साहित्य उपलब्ध है।

19• www.nidatrans.com
इस साइट पर हिंदी, अंग्रेज़ी, तमिल, तेलुगु भाषाओं के लिए अनुवाद, डीटीपी आदि सेवा उपलब्ध है।

20• www.shamema.com
इस साइट पर हिंदी, अंग्रेज़ी, उर्दू, पख्तु, पाश्तो भाषाओं के लिए समानार्थी शब्द प्राप्त किया जा सकते हैं।

21• www.hindibhasha.com
इस साइट पर हिंदी भाषा के लिए उपयुक्त जानकारी उपलब्ध है।

पीठापुरम यात्रा

 आंध्र प्रदेश के पीठापुरम यात्रा के दौरान कुछ धार्मिक स्थलों का सहपरिवार भ्रमण किया। पीठापुरम श्रीपाद वल्लभ पादुका मंदिर परिसर में महाराष्ट्...