अब इस गांधी का क्या करें ?😊 (कविता) **************************
जलाने पर भी दहन नहीं हो रहा
खत्म करने पर भी खत्म नहीं हो रहा ,
हत्या करके भी मर नहीं रहा
इस गांधी का अब क्या करें?
मूर्ति तोड़ने पर भी
अभंग है
बदनामी के सैलाब में भी
अचल है
बदनामी के चक्रवात में . जनमानस में अमर है,
चरित्र के साथ खूब खिलवाड़ किया विचारों से भटका दिया,
केसरिया रंग में पोत दिया
थक गया हूँ इस 70 सालों से
अब हम करें तो क्या करें ? अब इस गांधी का क्या करें?
कितनी बार पेड़ काटें?
जड़े फिर भी जमीन के अंदर
फैल रही है हर दिशा में
खत्म हुआ
कहते कहते
चर्चा के चक्रवात में
घूम रहे है,
उसके विचार बार बार
बापू, तेरा नाम पोछने पर भी
उजागर हो रहा है।
हम अब इस 70 सालों में
जमीन के अंदर
धंस गए है
पिछले 70 सालों से
एक ही सवाल
इस गांधी का अब क्या करें ? ***************************.
मूल मराठी कविता - हेरंब कुलकर्णी (8208589195 )
(हिंदी अनुवाद- विजय प्रभाकर नगरकर)
जलाने पर भी दहन नहीं हो रहा
खत्म करने पर भी खत्म नहीं हो रहा ,
हत्या करके भी मर नहीं रहा
इस गांधी का अब क्या करें?
मूर्ति तोड़ने पर भी
अभंग है
बदनामी के सैलाब में भी
अचल है
बदनामी के चक्रवात में . जनमानस में अमर है,
चरित्र के साथ खूब खिलवाड़ किया विचारों से भटका दिया,
केसरिया रंग में पोत दिया
थक गया हूँ इस 70 सालों से
अब हम करें तो क्या करें ? अब इस गांधी का क्या करें?
कितनी बार पेड़ काटें?
जड़े फिर भी जमीन के अंदर
फैल रही है हर दिशा में
खत्म हुआ
कहते कहते
चर्चा के चक्रवात में
घूम रहे है,
उसके विचार बार बार
बापू, तेरा नाम पोछने पर भी
उजागर हो रहा है।
हम अब इस 70 सालों में
जमीन के अंदर
धंस गए है
पिछले 70 सालों से
एक ही सवाल
इस गांधी का अब क्या करें ? ***************************.
मूल मराठी कविता - हेरंब कुलकर्णी (8208589195 )
(हिंदी अनुवाद- विजय प्रभाकर नगरकर)
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